राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस: अच्छे डॉक्टर के लिए मानवता की कसौटी जरूरी

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का महत्त्व

भारत में हर वर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से महान चिकित्सक और स्वतंत्रता सेनानी बिधान चंद्र रॉय को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। बिधान चंद्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि, दोनों इसी दिन पड़ती हैं। वे केवल एक उत्कृष्ट डॉक्टर ही नहीं बल्कि एक सच्चे मानवतावादी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने चिकित्सा जगत में अपनी अमूल्य सेवाएं दीं और चिकित्सकों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया।

डॉ. बी.सी. रॉय की दृष्टि

डॉ. रॉय का मानना था कि एक अच्छे डॉक्टर के लिए केवल चिकित्सा में दक्षता महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि व्यक्ति का दिल भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने हमेशा कहा कि एक डॉक्टर में धैर्य, सहानुभूति, विवेक और करुणा जैसे गुण होने चाहिए। उनका कहना था कि बिना इन गुणों के केवल चिकित्सा शिक्षा से एक सच्चा डॉक्टर नहीं बन सकता।

प्राचीन काल से डॉक्टरों की प्रतिष्ठा

ग्रीक चिकित्सक और दार्शनिक हिपोक्रेटस, जिन्हें 'चिकित्सा का पिता' कहा जाता है, ने डॉक्टर को 'धरती का फरिश्ता' माना था। यह बात दर्शाती है कि प्राचीन समय से ही डॉक्टरों को समाज में विशेष सम्मान और दर्जा प्राप्त रहा है। हालांकि समय के साथ चिकित्सा पेशे की आत्मस्थितियों में बदलाव आया है, पर डॉक्टरों का महत्व और उनकी समाज में प्रतिष्ठा आज भी बनी हुई है।

डॉक्टरों का मानवता और नैतिकता से गहरा संबंध

डॉक्टरों का मानवता और नैतिकता से गहरा संबंध

एक अच्छे डॉक्टर के लिए धैर्य, सहानुभूति, विवेक और करुणा जैसे गुण आवश्यक हैं, जो उन्हें न सिर्फ एक अच्छा चिकित्सक बल्कि एक अच्छा इंसान भी बनाते हैं। एक कहानी है कि जब फ्रांस के सम्राट नैपोलियन बोनापार्ट को उनके निर्वासन के दौरान आयरिश सर्जन बैरी एडवर्ड ओ'मेरा ने उनका इलाज किया, तो उन्होंने सांप्रदायिकता या किसी भी प्रकार के निजी भेदभाव को नजरअंदाज करके सिर्फ उनके जीवन को बचाने पर ध्यान केंद्रित किया।

डॉक्टर और मानवता की कहानियां

इसी तरह की कई कहानियाँ डॉक्टरों के योगदान को बयां करती हैं। आपातकालीन स्थितियों में, युद्ध के समय, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान और रोजमर्रा की बीमारियों में डॉक्टरों ने अपने जीवन को खतरे में डालकर कई लोगों की जानें बचाई हैं। इन सभी कार्यों में उनके धैर्य, सहानुभूति, विवेक और करुणा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

समाज में डॉक्टरों की भूमिका

आज के समय में, डॉक्टरों के प्रति समाज में आदर और सम्मान पहले से भी बढ़ गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में उभर कर सामने आए और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अनेक कठिनाइयों का सामना किया। उनके इस योगदान के लिए उन्हें 'कोविड योद्धा' कहा गया।

डॉक्टर बनने की प्रेरणा

डॉक्टर बनने की प्रेरणा

कई युवा लड़के-लड़कियां डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं। वे जानना चाहते हैं कि यह पेशा कितना चुनौतीपूर्ण और सम्माननीय है। वे अपने आदर्श डॉक्टरों की कहानियों से प्रेरणा लेते हैं और मानवता की सेवा करने का प्रण करते हैं।

निष्कर्ष

किसी भी डॉक्टर के लिए उसकी चिकित्सा योग्यताओं से ज्यादा उसके मानवीय गुण महत्वपूर्ण होते हैं। प्रसिद्ध अंग्रेजी उपन्यासकार विलियम समरसेट मॉम का यह कहना था कि केवल एक मूल रूप से अच्छे इंसान को ही एक अच्छा डॉक्टर बनाया जा सकता है। इस तरह डॉक्टर न केवल अपनी चिकित्सा दक्षता के लिए बल्कि अपने मानवीय गुणों के लिए भी समाज में सदैव आदरणीय बने रहते हैं।

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