बेंगलुरु के क्रिकेट प्रेमियों के लिए 4 जून, 2025 हमेशा एक दर्दनाक याद बन गया है। IPL में Royal Challengers Bangalore (RCB) की ऐतिहासिक जीत का जश्न उस वक्त मातम में बदल गया, जब M. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास जश्न के दौरान जबरदस्त भीड़ के चलते भगदड़ मच गई। यह जश्न RCB की पहली आईपीएल ट्रॉफी पर था। हजारों फैंस स्टेडियम के बाहर जुटे थे, मगर भीड़ पर काबू नहीं रखा जा सका। 11 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा घायल हो गए।
जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, सामने आया कि इस बड़े आयोजन में कई स्तरों पर लापरवहीं हुईं। पुलिस ने RCB के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले और आयोजन से जुड़ी प्राइवेट इवेंट मैनेजमेंट कंपनी DNA नेटवर्क्स के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। यही कंपनी पूरे कार्यक्रम की लॉजिस्टिक्स और भीड़ प्रबंधन का जिम्मा देख रही थी।
इस हादसे के ठीक बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने खुद से संज्ञान लिया और कहा– आखिर किसकी लापरवाही से इतने परिवार उजड़ गए? 5 जून को कोर्ट ने सुनवाई रखी है। कोर्ट ने शुरूआती निर्देश में बड़ी सख्ती दिखाई है। दूसरी तरफ, बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर को प्रशासनिक चूक के चलते तत्काल सस्पेंड कर दिया गया। केस में पुलिस अब आयोजन की हर परत खंगाल रही है— कौन सा परमिट जारी हुआ, किसने साइन किया, किसने कितने लोगों की व्यवस्था की?
पुलिस सूत्र बताते हैं, इस परेड के लिए पहले से सुरक्षा एजेंसियों ने खतरे की आगाह की थी। भीड़ बढ़ने के साफ संकेत मिले थे। स्टेडियम के पास बैरिकेडिंग और बाहर निकलने की व्यवस्था कमजोर थी। DNA नेटवर्क्स के आयोजक और RCB की टीम आपस में एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। जांच में इवेंट परमिशन की फाइल भी रही, जिसमें कई सख्त शर्तें थीं। शुरुआती रिपोर्ट में सामने आया– इन शर्तों को नजरअंदाज किया गया।
घटना के बाद सिटी के अस्पतालों में अफरातफरी मच गई और सोशल मीडिया पर जश्न की तस्वीरें खून के धब्बों और चप्पलों से सजी जमीन से बदल गईं। RCB की टीम ने जहां फैंस से दुख जताया, वही प्रशासन के पास सवालों की झड़ी लग गई।
इस बड़ी चूक ने न सिर्फ आयोजकों की जवाबदेही को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि भीड़ नियंत्रण जैसे बुनियादी इंतजामों पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट की कार्रवाई, पुलिस की अगली रिपोर्ट और शहर में ऐसे आयोजनों के भविष्य पर टिकी हैं।
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