Category: धर्म और संस्कृति

चैत्र नववर्षा अष्टमी 2025: 5 या 6 अप्रैल? कन्या पूजा का मुहरत व तिथि विवरण

चैत्र नववर्षा अष्टमी 2025: 5 या 6 अप्रैल? कन्या पूजा का मुहरत व तिथि विवरण
चैत्र नववर्षा अष्टमी 2025: 5 या 6 अप्रैल? कन्या पूजा का मुहरत व तिथि विवरण

चैत्र नववर्षा अष्टमी 2025 की तिथि लेकर भक्तों में गड़बड़ी है—कुछ कह रहे हैं 5 अप्रैल, तो कुछ 6 अप्रैल। ज्योतिषीय गणना, पञ्चांग अंतर और क्षेत्रीय रीति‑रिवाज़ इसे समझाते हैं। अष्टमी का महत्व, संधि पूजा, कन्या पूजा और फास्ट‑संबंधी टिप्स यहाँ पढ़ें।

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान
सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान

21-22 सितंबर 2025 को सौर ग्रहण सरव पितृ अमावस्या से मेल कर रहा है, 122 साल में पहली बार। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देता, पर पितृ पक्ष का समापन इसी रात को होता है। इस दुर्लभ संयोग को धार्मिक ग्रंथों में अत्यधिक पुण्य माना गया है और कई अनुष्ठान व उपाय सुझाए गये हैं। रात्रि में तर्पण, ब्राह्मण सत्कार, मंत्रजाप और दान के विशेष दिशा‑निर्देश भी प्रस्तुत किए गये हैं। अगले दिन नवरात्रि शुरू होने से आध्यात्मिक शुद्धिकरण की नई लहर शुरू होती है।

हनुमान चालीसा पाठ के बाद बच्चों को अल्पाहार का आयोजन

हनुमान चालीसा पाठ के बाद बच्चों को अल्पाहार का आयोजन
हनुमान चालीसा पाठ के बाद बच्चों को अल्पाहार का आयोजन

एक स्कूल में बच्चों के लिए हनुमान चालीसा का आयोजन किया गया, जिसके बाद सभी बच्चों को अल्पाहार दिया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को धार्मिक संस्कारों से अवगत कराना था।

पितृ पक्ष 2024: तिथियाँ, महत्व, और पूर्वजों को सम्मानित करने की रीतियाँ

पितृ पक्ष 2024: तिथियाँ, महत्व, और पूर्वजों को सम्मानित करने की रीतियाँ
पितृ पक्ष 2024: तिथियाँ, महत्व, और पूर्वजों को सम्मानित करने की रीतियाँ

पितृ पक्ष 2024, 15-दिनों की अवधि है जिसमें पूर्वजों का सम्मान किया जाता है। यह 18 सितंबर, 2024 से शुरू होकर 2 अक्तूबर, 2024 को सर्व पितृ अमावस्या के साथ समापन होता है। इस अवधि में तर्पण और पिंड दान जैसी महत्वपूर्ण रीतियाँ निभाई जाती हैं जिससे पूर्वजों की आत्माओं को शांति और परिवार को आशीर्वाद प्राप्त होता है।