स्टारबक्स ने अपने भारतीय मूल के सीईओ लक्ष्मण नरसिंहन को उनके कार्यकाल के सिर्फ 18 महीने बाद ही बदलने का फैसला कर लिया है। कंपनी के इस निर्णय ने न केवल कॉर्पोरेट जगत में हलचल मचा दी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि स्टारबक्स जैसी विशाल कंपनी भी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है।
लक्ष्मण नरसिंहन ने जब सीईओ के पदभार को संभाला था, तब कंपनी कई कठिनाइयों से जूझ रही थी। उन्होंने बहुत सारे प्रयास किए, लेकिन फिर भी कंपनी की बिक्री में गिरावट को रोका नहीं जा सका। विश्वव्यापी बिक्री में 3% की गिरावट और खासकर अमेरिका और चीन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बड़ी गिरावट ने उनकी स्थिति को और भी कठिन बना दिया।
स्टारबक्स की बिक्री अमेरिका में 2% गिर गई, जबकि चीन में यह आंकड़ा 14% तक पहुँच गया। चीन, जहाँ स्टारबक्स ने काफी विस्तार किया था और जिसे वह अपने महत्वपूर्ण विकास बाजार के रूप में देखता था, वहां इतनी बड़ी गिरावट कंपनी के लिए एक बड़ा झटका था।
इतना ही नहीं, स्टारबक्स को बॉयकॉट्स और नकारात्मक प्रचार से भी जूझना पड़ा। ब्रांड के बारे में गलत धारणाओं के कारण कई लोग इससे नाता तोड़ रहे थे। इस स्थिति में कंपनी ने नए उत्पादों और प्रमोशनों के माध्यम से बिक्री बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास असफल रहे।
कंपनी को सक्रिय निवेशकों, विशेषकर Elliott Management और Starboard Value का भी सामना करना पड़ा, जिन्होंने कंपनी में हिस्सेदारी लेते हुए स्टॉक प्राइस बढ़ाने के रूप में सुधारों की मांग की। इसके अतिरिक्त, कर्मचारियों की यूनियन, Workers United union, के साथ होने वाले संघर्ष ने भी कंपनी की समस्याओं को और बढ़ा दिया। अमेरिका में 470 से अधिक स्टोरों में यूनियन प्रतिनिधित्व होने के कारण यूनियन संबंधित मुद्दों ने कई समस्याओं को जन्म दिया।
पूर्व सीईओ हावर्ड शुल्त्ज़ ने कंपनी की वर्तमान स्थिति की कड़ी आलोचना की और कंपनी को उसके मुख्य मूल्यों पर लौटने की बात कही। हालांकि, सक्रिय निवेशकों के साथ सकारात्मक बातचीत के बावजूद, नरसिंहन की नेतृत्व क्षमता को अपर्याप्त माना गया और उन्हें हटाने का फैसला लिया गया।
नरसिंहन की जगह अब Chipotle के मौजूदा सीईओ ब्रायन निकॉल लेंगे। जब तक निकॉल अपना कार्यभार संभालते हैं, तब तक स्टारबक्स की सीएफओ रेचल रुगरी अंतरिम सीईओ के रूप में कंपनी का नेतृत्व करेंगी।
लक्ष्मण नरसिंहन का कार्यकाल किसी के लिए भी आसान नहीं रहा है। स्टारबक्स जैसी बड़ी कंपनी की समस्या को हल करना और उसकी पुरानी रीतियों को बदलना कोई सरल कार्य नहीं है। नरसिंहन ने अपने कार्यकाल में कई कदम उठाए, लेकिन वे कंपनी की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए।
कंपनी की समस्या को गहराई से समझना जरूरी है। वैश्विक व्यापार की गिरती हुई स्थिति, अमेरिका और चीन में तेज गिरावट, और निवेशकों का बढ़ता दबाव यह दर्शाता है कि स्टारबक्स को अब अपनी पुरानी नीतियों को छोड़कर नई दिशा में सोचना होगा। सक्रिय निवेशक चाहते हैं कि कंपनी अपने व्यापार माडल को सुधारते हुए अपने स्टॉक प्राइस को बढ़ाए।
नरसिंहन के कार्यकाल के दौरान, कंपनी को कई बहिष्कारों और विरोधों का सामना करना पड़ा। गलत धारणाओं के कारण ग्राहक स्टारबक्स से नाराज़ थे। इन्हें सही करने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन असफल रहे। नए उत्पादों और प्रमोशनों के माध्यम से बिक्री बढ़ाने की कोशिश की गई लेकिन बिक्री में कोई खास सुधार नहीं देखा गया।
कंपनी के नाम पर विवाद और नकारात्मक प्रचार भी नरसिंहन की नेतृत्व की चुनौतियों में शामिल थे। इस प्रकरण में कंपनी को गंभीर नुक़सान उठाना पड़ा और इसका प्रभाव कंपनी की बिक्री पर दृश्य रूप से देखा गया।
स्टारबक्स को वरिष्ठ निवेशकों की भी चुनौती का सामना करना पड़ा। Elliott Management और Starboard Value जैसे निवेशकों ने कंपनी में हिस्सेदारी ली और स्टॉक प्राइस को बेहतर करने के लिए सुधारों की मांग की।
इसके अलावा, यूनियन संबंधित मुद्दे भी कंपनी के लिए बड़ी समस्या बने। विशेषक, Workers United union के साथ होने वाला संघर्ष ने कंपनी में माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। अमेरिका में 470 से अधिक स्टोरों में यूनियन के प्रतिनिधित्व के कारण यूनियन संबंधित मुद्दों और संघर्ष ने स्टारबक्स को और भी कठिनाइयों में डाल दिया।
लक्ष्मण नरसिंहन ने स्टारबक्स में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उनकी रणनीतियों और योजनाओं का कंपनी के व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने नए उत्पादों और प्रमोशनों के माध्यम से बिक्री बढ़ाने का प्रयास किया और निवेशकों के साथ सकारात्मक बातचीत करने की कोशिश की।
हालांकि, उनके सभी प्रयास असफल नहीं रहे। कुछ क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम भी मिले लेकिन बड़े स्तर पर यह काफी नहीं था। नरसिंहन ने कंपनी में सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए लेकिन वे कंपनी को बाज़ार में बनाए रखने में नाकाम रहे।
अब स्टारबक्स का नेतृत्व Chipotle के मौजूदा सीईओ ब्रायन निकॉल के हाथों में होगा। निकॉल ने अपने पिछले कार्यकाल में शानदार प्रदर्शन दिखाया है और उन्हें उम्मीद है कि वे स्टारबक्स को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
बिल्कुल, स्टारबक्स की सीएफओ रेचल रुगरी अंतरिम सीईओ के रूप में कार्यभार संभालेंगी और ब्रायन निकॉल के आने तक कंपनी का नेतृत्व करेंगी। अब देखना यह है कि स्टारबक्स अब किस नए दिशा में कदम बढ़ाता है और अपने व्यापार को कैसे पुनः स्थिर करता है।
एक टिप्पणी लिखें