When discussing भारतीय पहलवान, वे एथलीट हैं जो कॉमनवेल्थ, एशियन और ओलंपिक जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में फ्रीस्टाइल या ग्रेको-रोमन शैली में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. Also known as इंडियन रेसलर, they blend पारम्परिक अखाड़ा प्रशिक्षण और आधुनिक जिम तकनीक.
अक्सर अखाड़ा, परम्परागत भारतीय कुश्ती प्रशिक्षण स्थल है जहाँ मिट्टी की सतह पर हलका दुबला दौड़ और रस्सी की कसरत होती है को भारतीय पहलवान की नींव माना जाता है। यही जगह फ्रीस्टाइल कुश्ती, एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त शैली है जिसमें पैर और हाथ दोनों से पकड़ और फेंकने की आज़ादी होती है की तकनीक विकसित की जाती है। अखाड़ा की ग्राउंडिंग और फ्रीस्टाइल का नियम दोनों मिलके यह सुनिश्चित करते हैं कि खिलाड़ी को शक्ति, चपलता और मानसिक दृढ़ता मिलती है। वास्तव में, भारतीय पहलवान का विकास इस दो‑स्तरीय प्रशिक्षण मॉडल पर निर्भर करता है, जहाँ पारम्परिक शारीरिक शक्ति और आधुनिक तकनीकी विश्लेषण एक साथ आगे बढ़ते हैं।
जब ऑलिम्पिक खेल, विश्व का सबसे बड़ा बहुक्षेत्रीय खेल आयोजन है जहाँ हर चार वर्ष में राष्ट्रों के एथलीट प्रतिस्पर्धा करते हैं में मेडल जीतते हैं, तो यह न सिर्फ व्यक्तिगत सम्मान लाता है बल्कि पूरे देश में कुश्ती की लोकप्रियता को भी तेज़ कर देता है। पिछले दो दशकों में सुषिल कुमार, बज्जरंग पुनिया, निशिता सेठ जैसे नामों ने भारत को ऑलिम्पिक पदक दिलवाकर इस खेल को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। उनका सफ़र दर्शाता है कि सही कोचिंग, राज्य‑स्तरीय स्कॉलरशिप, और निजी वित्तीय समर्थन मिलकर एक मजबूत कुश्ती इकोसिस्टम बनाते हैं। नीचे आप विभिन्न लेखों, इंटरव्यू और प्रतियोगिता रिपोर्ट्स पाएँगे जो भारतीय पहलवानों की तैयारी, चुनौतियों और उपलब्धियों को विस्तार से बताते हैं। आगे की सूची में आप इन एथलीटों की ताज़ा खबरें, उनके प्रशिक्षण केंद्रों की जानकारी और आगामी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की झलक देखेंगे—सब आपके एक ही स्थान पर।
रीतिका हूडा, पेरिस 2024 ओलिंपिक में भारत की अंतिम महिला पहलवान, 50 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक राउंड के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई हैं। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ और अडिग संकल्प ने भारत के पहलवानी उम्मीदों को नई दिशा दी है। आगामी मुकाबलों में उनकी प्रदर्शन पर नजरें टिकी हैं।