जब हम भारतीय पर्व, भारत में विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और इतिहास से जुड़ी सांस्कृतिक और धार्मिक समारोहों का समूह. Also known as भारतीय त्यौहार, it देश के सामाजिक जीवन में खुशी, समुदाय और पहचान को जोड़ता है। इन त्यौहारों में भारतीय पर्व सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक असर डालते हैं।
एक आम सवाल होता है – ये त्यौहार किससे जुड़े होते हैं? पहला बड़ा जुड़ाव है राष्ट्रीय अवकाश, सरकारी तौर पर घोषित छुट्टी जो अधिकांश कर्मचारियों और छात्रों के लिए काम से मुक्त दिन होती है। दूसरा प्रमुख हिस्सा है धार्मिक समारोह, पूजाआरती, मंत्रोच्चार और अनुष्ठान जो विश्वासों की अभिव्यक्ति होते हैं। तीसरा है सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत, कला और स्थानीय खानपान की प्रस्तुतियां जो त्योहार को जीवंत बनाती हैं। ये तीनों मिलकर भारतीय पर्व को पूरा बनाते हैं, और हर साल नई ऊर्जा लाते हैं।
आजकल टॉपिक सिर्फ परम्परा नहीं रह गया, वे आर्थिक और सामाजिक रुझानों को भी प्रभावित करते हैं। उदाहरण के तौर पर, दशहरा या दीपावली के समय कई सरकारी संस्थान, जैसे RRB NTPC, भर्ती प्रक्रिया तेज करते हैं; 2025 की का विज्ञापन इसी सीजन में आया था। इसी तरह, क्रिकेट या बैडमिंटन के बड़े इवेंट्स अक्सर सार्वजनिक छुट्टियों के साथ होते हैं, जिससे दर्शकों की संख्या और विज्ञापन राजस्व दोनों बढ़ता है। स्टॉक मार्केट में भी त्योहारी सीजन के दौरान सोने की कीमत, शेयरों की उछाल या गिरावट नोटिस करने को मिलती है – जैसे दीपावली से पहले सोने की कीमत में उल्लेखनीय उछाल देखा गया था।
इन सबको देखते हुए, स्थानीय परम्पराएँ, प्रत्येक राज्य या गांव की विशिष्ट रिवाज़ और रीति‑रिवाज़ जो त्योहार को अनोखा बनाते हैं भी अहम भूमिका निभाती हैं। उत्तर भारत में दीयों की रौशनी, दक्षिण में पोंगल के पंडाल, पश्चिम में गरबा, और पूर्व में बांग्ला पोंगा – सबकी अपनी कहानी है। ये विविधता ही भारतीय पर्व को एक समग्र, फिर भी विविध रूप देती है।
तो अब आप जान चुके हैं कि भारतीय पर्व सिर्फ खुशी के मौके नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अवकाश, धार्मिक समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्थानीय परम्पराएँ आपस में जुड़े हुए हैं। आगे आप इस पेज पर दिए गए लेखों में देखेंगे कि कैसे हर त्यौहार अलग‑अलग पहलुओं – नौकरी, खेल, वित्तीय मार्केट और सामाजिक व्यवहार – को प्रभावित करता है। तैयार हो जाइए, क्योंकि आगे की सूची में आपको उत्सवों की गहरी समझ और उनका वास्तविक जीवन में असर मिलेंगे।
गुरु पूर्णिमा एक हिन्दू पर्व है जिसे आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। 2024 में यह उत्सव 20 जुलाई को होगा। यह पर्व भारत, नेपाल और भूटान के जैन, हिन्दू और बौद्ध अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। गुरु-शिष्य परंपरा इस पर्व का मुख्य केंद्र बिंदु है।