जब बात भारतीय राजनीति, देश के लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, चुनावों, नीति‑निर्माण और राजनीतिक दलों के कार्यों को समेटे हुए एक जटिल सिस्टम है की आती है, तो कई घटकों को समझना ज़रूरी है। सबसे पहला घटक चुनाव, जनता द्वारा प्रतिनिधियों को चुनने की प्रक्रिया है, जो सरकार की वैधता तय करता है। दूसरा प्रमुख तत्व नीति, सार्वजनिक समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा बनायी गई दिशा‑निर्देश है, जो आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा क्षेत्रों को प्रभावित करती है। तीसरा मुख्य इकाई संसद, दोनों सदनों (लोकसभा एवं राज्यसभा) का गठित संस्थान जहाँ कानून बनते और संशोधित होते हैं है, जो नीति को कानूनी रूप देती है। इन तीनों के बीच के सम्बन्ध को सरल शब्दों में कहें तो: भारतीय राजनीति शामिल करती है चुनाव, चुनाव निर्धारित करता है संसद का composition, और संसद स्वीकृति देती है नीति को। यही कारण है कि हर चुनाव परिणाम, हर नीति घोषणा और हर संसद का बहस सीधे आपके दैनिक जीवन को छूती है।
हाल के महीनों में दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की धुआँधार जीत, भाजपा‑ऐएपी के बीच की तीव्र प्रतिस्पर्धा और प्रमुख नेताओं जैसे अर्जुन केजरीवाल और मनिष सिसोदिया की हार ने चर्चा को नई दिशा दी। इस घटना को समझने के लिए हमें देखना होगा कि कैसे स्टेट‑लेवल चुनाव राष्ट्रीय नीति पर असर डालते हैं, विशेषकर जब सत्ता में बदलाव से विकास परियोजनाओं, रोजगार पैकेज और सामाजिक कल्याण योजनाओं में बदलाव आता है। इसी तरह, राष्ट्रीय स्तर पर संसद के सदस्यों द्वारा पेश किए गए बिल, जैसे कि रोजगार सृजन, शिक्षा सुधार और स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े, जनधारणा को सीधे प्रभावित करते हैं। विविध क्षेत्रों के समाचार – चाहे वह टाटा मोटर्स की डिमर्जर से शेयर बाजार में उतार‑चढ़ाव हो, या राष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों में उछाल हो – सभी भारत की आर्थिक नीति के हिस्से हैं, और आर्थिक नीति का असर राजनीति में गहराई से पड़ता है। इस वजह से हमारे पोर्टल पर राजनैतिक खबरों के साथ रोजगार, उद्योग और वित्तीय बाजार से जुड़ी रिपोर्टें भी शामिल हैं, क्योंक़ि ये सभी तत्व एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
इस संग्रह में आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न पहलुओं – चुनाव परिणाम, नीति‑परिवर्तन, संसद की गतिविधि, और आर्थिक‑राजनीतिक घटनाएँ – एक साथ मिलकर भारतीय राजनीति की समग्र तस्वीर बनाते हैं। नीचे दी गई सूची में नवीनतम समाचार, विश्लेषण और विशेषज्ञ राय मिलेंगी, जिससे आप न केवल वर्तमान माहौल को समझ पाएँगे, बल्कि आगामी चुनाव या नीति बदलावों के लिए बेहतर तैयारी भी कर सकेंगे। तो चलिए, आगे बढ़ते हैं और इस विस्तृत संग्रह को देखते हैं, जहाँ हर लेख आपको भारतीय राजनीति की जटिलता को सरलता से समझाने में मदद करेगा।
पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। राजनीति और कूटनीति में विशिष्ट योगदान देने वाले नटवर सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य रहे और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत थे। उनके निधन पर देशभर के राजनीतिक नेताओं द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई है।