दुर्गा अष्टमी तिथि – तिथि, पूजा और व्रत की जानकारी

जब हम दुर्गा अष्टमी तिथि, हिंदू कैलेंडर में दुर्गा माता के अष्टमी रूप को दर्शाने वाली प्रमुख तिथि की बात करते हैं, तो इसका मतलब सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि कई धार्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत होता है। इस तिथि को दुर्गा पूजा, दुर्गा मातृका की दस‑दिवसीय पूजा श्रृंखला की अग्रिम तैयारी माना जाता है। साथ ही यह अष्टमी, सप्ताह के सातवें दिन को कहा जाने वाला धार्मिक अवधारणा से जुड़ी होती है, जहाँ व्रती अपने घर में दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर व्रत रखते हैं। तिथि का सटीक पता पंचांग, हिंदू पंचांग में सूर्य एवं चंद्र वर्ष की गणना के माध्यम से मिलता है। इस लेख में हम दुर्गा अष्टमी तिथि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

दुर्गा अष्टमी तिथि अक्सर शिवरात्रि, शिवजी को समर्पित प्रमुख तिथि जो अष्टमी के पास आती है के साथ आती है, जिससे दो प्रमुख मंदिरों में एक साथ पूजा का माहौल बनता है। कई लोग इस समय दोनों देवताओं को मिलाकर विशेष व्रत करते हैं, क्योंकि मान्यता है कि अष्टमी पर दुर्गा व शिवारत्रि दोनों का आशीर्वाद मिलता है। इस कारण से त्योहारों का क्रम लंबा हो जाता है और स्थानीय मेलों में भी भागीदारी बढ़ती है।

व्रत में क्या रखना चाहिए, इस पर भी पंचांग स्पष्ट निर्देश देता है। अष्टमी व्रत के दौरान शाकाहारी भोजन, नारीयल पानी और गर्म स्नान को प्रार्थना के साथ मिलाना सामान्य है। भक्तगण अक्सर इस दिन दुर्गा के सात रूपों को नमन करते हुए प्रत्येक रूप के लिए एक छोटा उपवास रखते हैं। यह क्रम "सप्त रूपी पूजा" कहलाता है, जो अष्टमी के सात चरणों को दर्शाता है। इस प्रक्रिया से मन की शांति और शारीरिक निरोगीता दोनों मिलती है।

भौगोलिक रूप से उत्तर भारत, बंगाल और ओडिशा में दुर्गा अष्टमी तिथि का उत्सव विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में स्थानीय मान्यताओं के अनुसार अष्टमी की शाम को बड़े गुब्बारे, जलनृत्य और झूले की गतिविधियाँ आयोजित होती हैं। साथ ही, कई शहरों में इस दिन विशेष मेले लगते हैं, जहाँ धार्मिक वस्तुएँ और मिठाइयाँ उपलब्ध होती हैं। इस प्रकार का सामाजिक पहलू तिथि को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी देता है।

नीचे आप देखेंगे कि हमारे साइट पर इस तिथि से जुड़े कौन‑कौन से लेख मौजूद हैं – चाहे वह पूजा विधि हो, व्रत का इतिहास हो या तिथि की गणना के तरीके। इन पोस्टों से आप अपनी तैयारी को और आसान बना सकते हैं और दुर्गा अष्टमी तिथि को पूर्ण समझ के साथ मना सकते हैं।

चैत्र नववर्षा अष्टमी 2025: 5 या 6 अप्रैल? कन्या पूजा का मुहरत व तिथि विवरण

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चैत्र नववर्षा अष्टमी 2025 की तिथि लेकर भक्तों में गड़बड़ी है—कुछ कह रहे हैं 5 अप्रैल, तो कुछ 6 अप्रैल। ज्योतिषीय गणना, पञ्चांग अंतर और क्षेत्रीय रीति‑रिवाज़ इसे समझाते हैं। अष्टमी का महत्व, संधि पूजा, कन्या पूजा और फास्ट‑संबंधी टिप्स यहाँ पढ़ें।