जब आप ऑनलाइन कोई खबर पढ़ते हैं, तो सबसे पहले फर्जी जानकारी, भ्रमित या गलत तथ्य जो पाठक को गुमराह करने के लिये तैयार किए जाते हैं. Also known as भ्रामक सूचना, यह अक्सर आलोचना का मुद्दा बनती है। फर्जी जानकारी हमारे दैनिक पढ़ने में बड़ी चुनौती बन गई है, चाहे वह नौकरी की विज्ञापन हो या बाजार की कीमतों की रिपोर्ट।
इस चुनौती का मुख्य कारण सामाजिक मीडिया, फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसी प्लेटफ़ॉर्म जहाँ खबरें तेज़ी से फैलती हैं है। जब कोई झूठी पोस्ट शेयर होती है, तो कई बार लोग इसे सच्चाई समझ लेते हैं। इसी कारण भर्ती विज्ञापन, ऐसे जॉब पोस्ट जो अक्सर गलत वेतन, आसान पात्रता या फर्जी कंपनी का नाम लेकर आकर्षित करते हैं भी फर्जी जानकारी के प्रमुख स्रोत बनते हैं। उम्मीदवार अपने भविष्य को लेकर उत्सुक होते हैं, इसलिए वे बिना जाँच‑परख के भरोसा कर बैठते हैं।
वित्तीय क्षेत्र में भी वित्तीय समाचार, स्टॉक, सोना, क्रिप्टोकरेंसी या फिक्स्ड डिपॉज़िट से जुड़ी खबरें जो निवेशकों को प्रभावित करती हैं में फर्जी जानकारी बड़ी समस्या है। गलत कीमतों या झूठे फ़ायदे की घोषणा निवेशकों को भारी नुकसान पहुँचा सकती है। इसी तरह खेल रिपोर्ट, क्रिकेट, फुटबॉल या अन्य खेलों की खबरें जो अक्सर खिलाड़ी की फार्म, मैच परिणाम या चोटों बारे गलत जानकारी देती हैं भी फैंस को भ्रमित करती हैं। जब एक झूठी जीत या हार की खबर वायरल होती है, तो दिलचस्पी पैदा होती है, लेकिन बाद में निराशा भी।
रोज़गार की तलाश में कई लोग ऐसे भर्ती विज्ञापन देखते हैं जिनमें 8,850 रेल नौकरियों की ऑनलाइन आवेदनों की तारीखों को गलत लिखा होता है। जब सरकारी साइट पर जाँच‑परख की जाती है, तो पता चलता है कि वह तारीख या पद अभी जारी नहीं हुए हैं। इसी तरह सोने की कीमतों में अचानक झाँक कर वित्तीय समाचार में 6,000 रुपये की छलांग का दावा किया जाता है, जबकि वास्तविक बाजार में उतार‑चढ़ाव लगभग 200 रुपये के भीतर रहता है। इस तरह की झूठी रिपोर्ट निवेशकों को अलर्ट कर देती है, लेकिन कई बार चेतावनी नज़रअंदाज़ हो जाती है।
खेल जगत में एक आम झूठी खबर यह है कि किसी खिलाड़ी ने मैच में 10,000 रन बनाए या मैच को 10 विकेट से जीता। ऐसे अफ़वाहें फॉलोअर्स को ग़लत उम्मीदें देती हैं और वास्तविक प्रदर्शन की सराहना कम कर देती हैं। इसी तरह सामाजिक मीडिया पर कई बार बताया जाता है कि किसी देश ने नई सेना में अनिवार्य सेवा लागू कर दी, जबकि यह केवल प्रस्ताव था। इस तरह का फर्जी जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा या नीति पर गलत धारणाएँ बनाता है।
फ़र्जी जानकारी से बचने के लिये कुछ आसान कदम अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, स्रोत की जाँच करें – क्या यह आधिकारिक वेबसाइट या विश्वसनीय समाचार एजेंसी है? दूसरा, तारीख और आंकड़े दूसरों के साथ मिलाकर देखें – अगर कोई आँकड़ा बहुत आकर्षक लगता है, तो अक्सर वह फर्जी होता है। तीसरा, टिप्पणी या शेयर करने से पहले थोड़ा शोध करना बेहतर रहेगा। इन सरल उपायों से आप भ्रामक समाचार की जालबंदी से बच सकते हैं।
अब आप जानते हैं कि फर्जी जानकारी कैसे फैलती है और किन क्षेत्रों में सबसे ज़्यादा देखने को मिलती है। नीचे दी गई सूची में हमारे साइट पर मौजूद लेखों में इन विषयों की विस्तृत जानकारी मिल सकती है – चाहे वह भर्ती धोखाधड़ी हो, बाजार की झूठी कीमतें हों या खेल की गलत रिपोर्ट। इन लेखों को पढ़कर आप अपनी समझ को और गहरा कर सकते हैं और भविष्य में फर्जी जानकारी के जाल से बच सकते हैं।
यूपीएमएसपी ने 10वीं-12वीं के नतीजों को लेकर अफवाहों को खारिज कर छात्रों को केवल आधिकारिक वेबसाइट्स पर ही भरोसा करने की सलाह दी है। रिजल्ट अप्रैल के अंतिम सप्ताह में आएंगे। पुनर्मूल्यांकन, कंपार्टमेंट परीक्षा और मार्क्स वेरिफिकेशन जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी।