जब हम फ्रंट-रनिंग, बाजार में किसी सुरक्षा की कीमत बदलने से पहले अपनी ट्रेड स्थापित करने की अनुचित प्रथा, भविष्यवाणी ट्रेडिंग सुनते हैं, तो तुरंत पूछते हैं कि यह कैसे काम करता है और किन नियमों के तहत रोकता है। इस लेख में हम फ्रंट-रनिंग के प्रमुख पहलुओं को विस्तार से देखेंगे।
शेयर ट्रेडिंग, जनता और संस्थागत निवेशकों द्वारा स्टॉक्स को खरीद‑बेच करने की प्रक्रिया में कई तकनीकी टूल्स होते हैं, परंतु जब कोई ट्रेडर आगे की सूचना का उपयोग करता है तो वह इन्साइडर ट्रेडिंग, कंपनी के अंदरूनी डेटा पर आधिकारिक पहुंच के साथ ट्रेड करना के दायरे में आ जाता है। फ्रंट‑रनिंग अक्सर इन्साइडर ट्रेडिंग के समान लक्ष्य रखता है—अग्रिम लाभ, परन्तु यह मुख्य रूप से बाजार की ऑर्डर‑बुक में दिखने वाले संकेतों पर निर्भर करता है, न कि गोपनीय कंपनी डेटा पर।
इन प्रथाओं का प्रभाव स्टॉक मार्केट, सभी सार्वजनिक शेयरों की खरीद‑बेच का समग्र मंच में स्पष्ट दिखता है; जैसे टाटा मोटर्स के डिमर्जर के बाद शेयर कीमतें अचानक गिरती हैं या सोने की कीमत में तेज़ उछाल होती है, निवेशकों को अक्सर संदेह होता है कि क्या कोई फ्रंट‑रनिंग हुआ है। यही कारण है कि वित्तीय नियमन, बाजार में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने वाले नियम और संस्थाएँ लगातार नई निगरानी तंत्र विकसित कर रहे हैं—जैसे SEBI की डिटेक्शन टूल्स और एक्सचेंज की प्री‑मैचिंग सिस्टम।
पिछले महीने टाटा मोटर्स की डिमर्जर के कारण शेयरों में 40% गिरावट देखी गई, जबकि उसी समय कुछ बड़े ब्रोकर्स ने इस गिरावट को पहले ही पकड़ कर लाभ कमाया। इसी तरह, सोने की कीमत में अचानक ₹6,000 की छलांग ने कई फ्यूचर ट्रेडरों को तीव्र लाभ दिलाया, लेकिन बाद में नियामक निगरानी ने इन गति को ‘संभावित फ्रंट‑रनिंग’ के रूप में चिन्हित किया। ऐसे पैटर्न हमें यह समझाते हैं कि कैसे बाजार के बड़े उतार‑चढ़ाव अक्सर अनैतिक ट्रेडिंग रणनीतियों की ओर संकेत कर सकते हैं।
डिटेक्शन के लिए प्रयोग होने वाले प्रमुख टूल्स में टाइम‑स्टैम्प एनालिसिस, ऑर्डर‑बुक फ़िंगरप्रिंटिंग और मशीन‑लर्निंग आधारित एल्गोरिद्म शामिल हैं। इन तकनीकों से नियामक यह पता लगा सकते हैं कि कोई ट्रेडर किस क्रम में अपने ऑर्डर रख रहा है और क्या वह मार्केट की दिशा से पहले ही लाभ उठा रहा है। जब ऐसी असामान्य पैटर्न मिलते हैं, तो SEBI तुरंत ट्रेडिंग प्रतिबंध, जुर्माना या लाइसेंस रद्दीकरण जैसी कार्रवाई करता है।
निवेशकों को भी सतर्क रहना चाहिए—अगर किसी स्टॉक में अचानक बड़े वॉल्यूम के साथ कीमत में तेज़ बदलाव दिखे, तो उसके पीछे फ्रंट‑रनिंग या हाइ‑फ़्रिक्वेंसी ट्रेडिंग हो सकता है। ऐसे समय में पोर्टफोलियो डाइवर्सिफ़िकेशन, रिस्क मैनेजमेंट टूल्स और रियल‑टाइम अलर्ट सेट करना फायदेमंद रहता है।
नीति स्तर पर, एथिकल ट्रेडिंग के नियमों को सुदृढ़ करने के लिए कई देशों ने ‘स्ट्रिंग एंटी‑मनिपुलेशन एक्ट’ पेश किया है, जिसमें फ्रंट‑रनिंग को दंडनीय माना गया है। भारत में भी यह दिशा स्पष्ट है: चाहे वह इंडस्ट्री के आतंरिक डेटा का दुरुपयोग हो या सार्वजनिक ऑर्डर‑बुक का दुरुपयोग, दोनों को कड़ी सजा मिलती है।
आगे आप इस टैग में शामिल विभिन्न ख़बरों और विश्लेषणों को पढ़ेंगे—भर्ती अपडेट से लेकर खेल, स्टॉक, सोना तक—जो दर्शाते हैं कि फ्रंट‑रनिंग जैसे वित्तीय विषय कैसे रोज़मर्रा की खबरों में परिलक्षित होते हैं। चलिए, अब उन लेखों की ओर बढ़ते हैं।
सेबी ने संदीप टंडन के स्वामित्व वाले क्वांट म्यूचुअल फंड की फ्रंट-रनिंग गतिविधियों के आरोपों की जांच शुरू की है। कंपनी के मुंबई मुख्यालय और हैदराबाद कार्यालयों पर छापे मारे गए। इस जांच में डीलरों और सहयोगियों से पूछताछ की जा रही है। अनुमान है कि इन गतिविधियों से लगभग 20 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।