जब राजनीतिक संकट, देश की सत्ता में अचानक उथल‑पुथल, नीति‑निर्माण में अड़चन और जनता की असंतुष्टि को दर्शाने वाला स्थिति है. Also known as राजनीतिक अस्थिरता, it often राष्ट्र के लोकतांत्रिक ढाँचे को चुनौती देता है. यह संकट अक्सर चुनाव, वोटरों के निर्णय और परिणामों से जुड़ा प्रमुख घटना और सरकार, विधान में सत्ता रखने वाला संस्थान के बीच ताने‑बाने में फूट पड़ती है। उदाहरण के तौर पर, 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारी जीत ने कई मौजूदा नीतियों को उलट दिया और विरोधी दलों को नई रणनीति अपनाने पर मजबूर कर दिया। इस प्रकार, "राजनीतिक संकट" ≈ "चुनाव परिणाम" और "सरकारी स्थायित्व" के बीच घनिष्ठ संबंध रखता है।
एक और अहम घटक है विरोधी दल, सत्ता में मौजूद सरकार की नीतियों को चुनौती देने वाले प्रमुख राजनीतिक समूह। वे अक्सर सार्वजनिक प्रदर्शन, विधायी जाँच और मीडिया पर दबाव डालकर संकट को और बढ़ा देते हैं। इसी बीच, नीति बदलाव, सरकार द्वारा लागू नई दिशा‑निर्देश या सुधार योजना का असर मतदाता व्यवहार पर स्पष्ट दिखता है। जब नीति‑निर्माण में असमानता या भ्रष्टाचार के संकेत मिलते हैं, तो जनता का भरोसा घटता है और विरोधी दल के पास मजबूती आती है। यही समीकरण कई बार चुनाव से पहले अचानक राजनीतिक उथल‑पुथल का कारण बनता है। इसलिए "विरोधी दल" ⇨ "नीति बदलाव" ⇨ "राजनीतिक संकट" का त्रिकोण अक्सर देखा जाता है।
इस टैग पेज में आप वही सब पढ़ेंगे जो हालियों में चर्चा का केंद्र बना है: राष्ट्रीय और राज्य‑स्तर के चुनावों की निकाल, प्रमुख पार्टियों के गठबंधन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आर्थिक नीतियों का राजनीतिक स्थिरता पर असर। हम सटीक आंकड़े, विश्लेषकों की राय और वास्तविक घटनाओं को जोड़कर एक व्यापक तस्वीर पेश करेंगे। आप पाएँगे कि कैसे कुछ राजनीतिक घटनाएँ पूरे देश को प्रभावित करती हैं, और किस तरह से स्थानीय मुद्दे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाते हैं। ये लेख न केवल जानकारी देते हैं, बल्कि आपको आगे की दिशा‑निर्देश भी सुझाते हैं—जैसे चुनाव के समय रणनीति कैसे बनानी चाहिए या सरकारी नीतियों के संभावित परिणाम कैसे समझने चाहिए।
नीचे दी गई लिस्ट में हम उन समाचारों और विश्लेषणों को क्रमबद्ध किया है जो "राजनीतिक संकट" के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं। चाहे आप छात्र हों, पत्रकार हों या आम नागरिक—इन लेखों में आपके सवालों के जवाब, नई दृष्टिकोण और कार्रवाई के सुझाव मिलेंगे। चलिए, अब उन ख़बरों को देखें जिनसे आपका राजनीतिक समझ और भी मजबूत बनेगा।
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट के चलते भारत-बांग्लादेश सीमा पर BSF ने उच्च सतर्कता जारी की है। BSF के महानिदेशक कोलकाता पहुंचे हैं ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सके। इस क्राइसिस ने सीमा पर सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं। BSF ने सीमा पर गश्त बढ़ा दी है और किसी भी अनैतिक गतिविधि को रोकने के लिए सतर्क है।