जब हम शपथ ग्रहण, एक औपचारिक अभिकथन है जिसमें व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारी, कर्तव्य या वफादारी को स्वीकार करता है की बात करते हैं, तो यह सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्धता का प्रतीक होता है। देश के कई सेक्टर – चाहे वह नौकरी भर्ती, सार्वजनिक या निजी संगठनों में नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान दिया गया शपथ हो, या फिर राजनीतिक शपथ, विधान सभा, संसद या राज्य सरकार में शपथ लेकर पदभार ग्रहण करना – हर जगह इसका अपना महत्व है। इसी तरह सैन्य सेवा, सेनाओं में नए तुल्यक्रम को शपथ लेकर राष्ट्रीय रक्षा के लिए तैयार होना भी शपथ ग्रहण की एक विशेष अभिव्यक्ति है। इन सभी मामलों में मूल तर्क यही है: एक स्पष्ट वचन‑बद्धता, जो व्यक्तिगत नैतिकता और संस्थागत जिम्मेदारी को जोड़ती है।
आज के समाचारों में शपथ ग्रहण विविध रूपों में दिखाई देता है। RRB NTPC भर्ती 2025 जैसी सरकारी नौकरियों में उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के बाद शपथ‑विधि में भाग लेना अनिवार्य है; यही कारण है कि 8,850 रेलवे पदों के लिए इस चरण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार, UPSSSC वन रक्षक परीक्षा या बिहार पुलिस कांस्टेबल एडे़ट कार्ड जारी होने के बाद चयनित अभ्यर्थियों को शपथ‑समारोह में भाग लेना पड़ता है, जिससे उनकी आधिकारिक नियुक्ति पूरी होती है। राजनीतिक क्षेत्र में, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बिडी जीतने के बाद विजेताओं को शपथ‑सत्र में अपनाई गई प्रतिज्ञा, जनता के भरोसे को कानूनी रूप देती है। वही शपथ‑विचार भारत में सैन्य सेवा के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है; 2024 में 80 देशों में अनिवार्य सैन्य सेवा जारी रहने से, नई कंस्रिप्शन विधेयक और सेवा अवधि में बदलाव शपथ‑समय की महत्त्वता को उजागर करता है। इन तीनों क्षेत्रों—नौकरी भर्ती, राजनीति और सेना—में शपथ के दौरान किए जाने वाले वाचाओं में समानता है: ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सार्वजनिक हित की रक्षा। इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि शपथ ग्रहण सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सामाजिक‑राजनीतिक समझौता है। जब कोई व्यक्ति शपथ लेता है तो वह न केवल अपने आप को, बल्कि पूरे संस्थान को मजबूती देता है। इस कारण, शपथ‑समय में दिये गए शब्दों को अक्सर नीतियों, नियमों और दायित्वों के रूप में दस्तावेज़ किया जाता है—जैसे RRB NTPC के पदों में सेवा शर्तें, या सेना में अनुशासनिक नियम। यही कारण है कि कई समाचार पृष्ठों पर शपथ‑सम्बंधी घटनाओं को प्रमुखता से दिखाया जाता है; वह दर्शकों को भरोसा दिलाता है कि चुनी गई अथवा नियुक्त व्यक्ति अपने वचन को निभाएगा।
नीचे आप पाएँगे विभिन्न क्षेत्रों में शपथ ग्रहण से जुड़ी खबरें – चाहे वह नई भर्ती, राजनैतिक जीत, या सैन्य सेवा के अपडेट हों। इन लेखों को पढ़ने से आप समझ पाएँगे कि शपथ का अर्थ सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक ठोस कार्रवाई है जो भारतीय लोकतंत्र और प्रशासनिक ढाँचे को सुदृढ़ बनाती है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधान सभा में विश्वास मत जीत लिया है, जिसमें 45 विधायकों ने उनके पक्ष में मतदान किया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के समर्थन से 45 विधायकों का समर्थन सुनिश्चित किया। भाजपा और आजसु के विधायक मतदान से पहले सदन से बाहर चले गए थे। 11 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण किया।