सरव पितृ अमावस्या – क्या है और क्यों महत्वपूर्ण?

जब सरव पितृ अमावस्या, हिन्दू पंचांग में नई चाँद की रात जब पितरों को याद किया जाता है, पितृ अमावस्या आती है, तो लाखों लोग अपने पूर्वजों के लिए विशेष रिवाज़ करते हैं। यह तिथि नववर्ष की पहली नई चाँद के रूप में मान्यता प्राप्त है और शुद्ध मोक्ष की खोज में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। सरल शब्दों में, यह वह रात है जब हम अपने आत्मा‑संबंधी पूर्वजों को स्मरण कर, दान‑धर्म और अनुष्ठान के द्वारा उनका शांति‑प्रदान करते हैं।

इस दिन से जुड़े मुख्य तत्वों को समझना आसान है: पितृ तिथि, वह तिथि जो पूर्वजों को सम्मानित करने के लिए निर्धारित होती है का महत्व बढ़ जाता है, और श्राद्ध व्रत, एक विशेष उपवास जो पितरों को अर्पित किया जाता है इस अमावस्या पर अनिवार्य हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पितृ तिथि बिना श्राद्ध के अधूरा माना जाता है, इसलिए कई परिवार इस दिन को पारिवारिक मिलन के रूप में मनाते हैं। दान‑भांड्य, पिंडदान या जलअर्पण जैसे कार्य इस तिथि को और भी पूज्य बनाते हैं, जिससे मोक्ष के मार्ग पर कदम और दृढ़ होते हैं।

हिन्दू कैलेंडर में अमावस्या को “नई चाँद” कहा जाता है क्योंकि इस रात चाँद की रोशनी नहीं होती, लेकिन आध्यात्मिक प्रकाश ज़्यादा तेज़ हो जाता है। कई मान्यताएँ बताती हैं कि इस निराकार अंधकार में आत्मा‑शुद्धि का काम होता है, इसलिए इस तिथि पर किए गए सारे पुण्य कार्य लंबे समय तक फल देते हैं। व्यावहारिक रूप से, लोग इस दिन जल-भोजन भिक्षा देना, गरीबों को अनाज देना या गीता‑संस्मरण करना पसंद करते हैं, क्योंकि ये सभी कार्य पिता‑देवताओं की कृपा को बढ़ाते हैं। इसी कारण, आधुनिक समय में भी आर्थिक, खेल और मौसम से जुड़ी खबरें इस तिथि के आसपास विशेष ध्यान आकर्षित करती हैं—जैसे टाटा मोटर्स के डिमर्जर से शेयर में उतार‑चढ़ाव, या मौसम विभाग द्वारा जारी अंधी‑बारिश चेतावनी—जो लोगों को वित्तीय और सुरक्षा जोखिमों की सूचना देती हैं।

नीचे आप विभिन्न समाचार, खेल, वित्त और सामाजिक अपडेट पाएँगे जो इस विशेष दिन के करीब आए हैं। चाहे वह क्रिकेट में नई जीत हो, सोने की कीमतों में बदलाव, या सरकार के नए नियम—सब कुछ यहाँ आपका इंतजार कर रहा है, जो सरव पितृ अमावस्या के आध्यात्मिक महत्व को आधुनिक जीवन की वास्तविकताओं से जोड़ता है। अब आगे स्क्रॉल करके अपने दिलचस्पी के लेख देखें और इस पावन तिथि को पूर्ण समझ के साथ मनाएँ।

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान
सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान

21-22 सितंबर 2025 को सौर ग्रहण सरव पितृ अमावस्या से मेल कर रहा है, 122 साल में पहली बार। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देता, पर पितृ पक्ष का समापन इसी रात को होता है। इस दुर्लभ संयोग को धार्मिक ग्रंथों में अत्यधिक पुण्य माना गया है और कई अनुष्ठान व उपाय सुझाए गये हैं। रात्रि में तर्पण, ब्राह्मण सत्कार, मंत्रजाप और दान के विशेष दिशा‑निर्देश भी प्रस्तुत किए गये हैं। अगले दिन नवरात्रि शुरू होने से आध्यात्मिक शुद्धिकरण की नई लहर शुरू होती है।