सौर ग्रहण: जानिए सब कुछ

जब बात सौर ग्रहण, जब चंद्रमा सूर्य के सामने आकर उसकी रोशनी को भाग्य या पूरी तरह से ढक देता है. इसे अक्सर सूर्य ग्रहण कहा जाता है, तो चलिए इस अद्भुत खगोलीय घटना की बारीकियों में उतरते हैं.

सौर ग्रहण दो मुख्य खगोलीय पिंडों के संरेखण से होता है: सूर्य, जो हमारी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, और चंद्रमा, पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह. जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच सीधी लाइन में आता है, तो सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक पहुँचने से रुक जाती है, जिससे ग्रहण घटित होता है. यही कारण है कि सौर ग्रहण विज्ञान, इतिहास और संस्कृति में इतना आकर्षक है.

ग्रहण के विभिन्न प्रकार

सौर ग्रहण को उनके दृश्य प्रभाव के आधार पर तीन प्रकारों में बाँटा जाता है: पूर्ण ग्रहण, जहाँ चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढँक लेता है; आंशिक ग्रहण, जिसमें केवल सूर्य का एक हिस्सा ढँका रहता है; और रिंज ग्रहण, जब चंद्रमा सूर्य के किनारे से गुजरता है और केवल एक उज्ज्वल रिंज बनता है. प्रत्येक प्रकार का अपना समय, स्थान और दृश्यता पर असर होता है, इसलिए इस पर ध्यान देना ज़रूरी है.

भारत में पिछले कुछ वर्षों में कई उल्लेखनीय सौर ग्रहण हुए हैं. 2020 का आंशिक ग्रहण उत्तर भारत के कई हिस्सों में देखा गया, जबकि 2024 का पूर्ण ग्रहण दक्षिणी भाग में प्रमुख स्थानों पर दिखा. इन घटनाओं ने न केवल वैज्ञानिकों को नई डाटा संग्रहित करने का अवसर दिया, बल्कि आम जनता को भी सुरक्षित देखने के बारे में जागरूक किया.

सुरक्षा का पहलू कभी अनदेखा नहीं होना चाहिए. सीधे सूर्य को देखना आँखों के लिये हानिकारक हो सकता है, इसलिए विशेष सुरक्षा उपकरण जैसे सौर इन्फ्रारेड फ़िल्टर, इम्प्रिंटेड सौर चश्मा या टेलिस्कोप के साथ उचित फ़िल्टर का उपयोग अनिवार्य है. अगर आपके पास ये उपकरण नहीं हैं, तो सीधे सूर्य देखना टालें और ऑनलाइन लाइव स्ट्रिमिंग देखें.

ग्रहण को देखना एक सामाजिक घटना भी बन गया है. कई शहरों में सार्वजनिक स्थल, विज्ञान केंद्र और स्कूल इस अवसर को उपयोगी बनाते हुए रियाल-टाइम व्याख्यान, दस्तावेज़ी फिल्में और विशेषज्ञों के साथ प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित करते हैं. यह न केवल ज्ञान को बढ़ाता है, बल्कि समुदाय को एक साथ लाता है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सौर ग्रहण ने कई शोधों को जन्म दिया है. सूर्य के कोरोना को समझने के लिए पूरी तरह अंधेरे की स्थिति में किए गए अवलोकन महत्वपूर्ण होते हैं. पिछले सौर ग्रहणों पर किए गए अध्ययन ने सौर पवन, चुम्बकीय क्षेत्रों और अंतरिक्ष मौसम के प्रभावों पर नई जानकारी दी है, जो सैटेलाइट संचालन और पावर ग्रिड सुरक्षा में उपयोगी है.

अब जबकि हम सौर ग्रहण की परिभाषा, प्रकार, सुरक्षा उपाय और वैज्ञानिक महत्व को समझ चुके हैं, आप तैयार हैं अपने अगले ग्रहण को देखे बिना किसी जोखिम के. नीचे दी गई लेख सूची में आप सौर ग्रहण से जुड़ी नवीनतम समाचार, विशेषज्ञ टिप्स और भारत में आने वाले ग्रहणों की तिथि पा सकते हैं. पढ़ते रहिए, जानते रहिए और सुरक्षित रूप से इस अद्भुत खगोलीय नाट्य को अनुभव कीजिए.

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान

सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान
सौर ग्रहण के साथ सरव पितृ अमावस्या 2025: अनिवार्य रात्रि अनुष्ठान

21-22 सितंबर 2025 को सौर ग्रहण सरव पितृ अमावस्या से मेल कर रहा है, 122 साल में पहली बार। भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देता, पर पितृ पक्ष का समापन इसी रात को होता है। इस दुर्लभ संयोग को धार्मिक ग्रंथों में अत्यधिक पुण्य माना गया है और कई अनुष्ठान व उपाय सुझाए गये हैं। रात्रि में तर्पण, ब्राह्मण सत्कार, मंत्रजाप और दान के विशेष दिशा‑निर्देश भी प्रस्तुत किए गये हैं। अगले दिन नवरात्रि शुरू होने से आध्यात्मिक शुद्धिकरण की नई लहर शुरू होती है।