जब हम सेबी, भारत का स्टॉक्स और सिक्योरिटीज़ नियामक संस्थान की बात करते हैं, तो इसका असर IPO, प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश, जो कंपनियों को पूँजी जुटाने का रास्ता देती है, शेयर बाजार, वित्तीय बाजार जहाँ शेयर खरीदे‑बेचे जाते हैं, और यहां तक कि सोना, एक सुरक्षित निवेश विकल्प जो आर्थिक अनिश्चितता में भरोसा देता है तक विस्तृत होता है। यह संबंध इस तरह बनता है – सेबी शेयर बाजार को नियंत्रित करता है, IPO प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है, सोना और बिटकॉइन जैसे एसेट्स पर व्यापक दिशा‑निर्देश देता है। नीचे आप देखेंगे कि ये एसेट्स इस साल कैसे बदल रहे हैं।
शेयर बाजार, भारत में विभिन्न एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग का मुख्य मंच की स्थिरता सेबी की नीतियों पर बहुत निर्भर करती है। जब सेबी नई नियमावली जारी करता है, तो कंपनियों को कॉम्प्लायंस करना पड़ता है और निवेशकों को भरोसा मिलता है। हाल ही में सेबी ने रिटेल निवेशकों के लिए ग्रुप एंटिटी लिस्टिंग को आसान बनाने की योजना बताई, जिससे छोटे निवेशकों को भी बड़े शेयरों तक पहुँच मिल सके। इस बदलाव ने पिछले महीने के आईपीओ में आवेदन संख्या को 30 % तक बढ़ा दिया, जिससे बाजार में तरलता में काफी सुधार हुआ। इस तरह सेबी का हर बदलाव सीधे शेयर की कीमतों, ट्रेडिंग वॉल्यूम और बाजार की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
जब हम सोना, एक भौतिक मूल्यवान धातु जो महंगाई के खिलाफ हेज होती है के बारे में बात करते हैं, तो सेबी का नियम यह तय करता है कि निवेशक इसे कितनी मात्रा में और किस प्रकार के ईटीएफ या फिजिकल रूप में रख सकते हैं। हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि सोने की कीमतें जब मार्केट अस्थिर होती हैं, तो निवेशक अक्सर सोने में सुरक्षित आश्रय देखते हैं। सेबी ने सोने के फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों की घोषणा की, जिससे इस एसेट की पहुंच और ट्रेडिंग लागत दोनों में कमी आई। इस कदम ने सोना को केवल धातु नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित वित्तीय उपकरण बना दिया, जो निवेशकों को विविधीकरण का मौका देता है।
डिजिटल एसेट्स की बात करते हुए, बिटकॉइन, पहला और सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर चलता है अब भी नियामक जाँच के दायरे में है। सेबी ने हाल ही में बिटकॉइन ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर सख्त KYC और एंटी‑मनी‑लॉन्डरिंग नियम लागू किए, जिससे निवेशकों को सुरक्षा मिलती है और बाजार में अनियमितता कम होती है। यह नियम न केवल निवेशकों के भरोसे को बढ़ाता है, बल्कि भारत में डिजिटल वित्त की वैधता को भी सुदृढ़ करता है। परिणामस्वरूप, कई ब्रोकरों ने बिटकॉइन को अपने ट्रेडिंग पोर्टफोलियो में शामिल किया, जिससे इस डिजिटल एसेट की वॉल्यूम में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
इन सभी एसेट्स—IPO, शेयर बाजार, सोना, बिटकॉइन—का आपसी संबंध सेबी के नियमों से बनता है। सेबी का लक्ष्य एक स्थिर, पारदर्शी और निवेशक‑मैत्रीपूर्ण बाजार बनाना है, जहाँ हर एसेट अपने नियमों के तहत सुरक्षित रूप से विकसित हो सके। नीचे आप देखेंगे कि इस सप्ताह के शीर्ष समाचार, नई नियामक अपडेट और विश्लेषण कैसे आपके निवेश रणनीति को दिशा देंगे। तैयार रहें, क्योंकि अगली पंक्तियों में ये सभी पहलू विस्तार से मिलेंगे।
सेबी ने संदीप टंडन के स्वामित्व वाले क्वांट म्यूचुअल फंड की फ्रंट-रनिंग गतिविधियों के आरोपों की जांच शुरू की है। कंपनी के मुंबई मुख्यालय और हैदराबाद कार्यालयों पर छापे मारे गए। इस जांच में डीलरों और सहयोगियों से पूछताछ की जा रही है। अनुमान है कि इन गतिविधियों से लगभग 20 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।