उड़ानें रद्द – क्यों होती हैं और क्या करें?

जब उड़ानें रद्द, वोह परिस्थितियाँ जहाँ सशुल्क हवाई यात्रा नियोजित समय पर नहीं होती की खबर आती है, तो अधिकांश लोगों को भ्रम और निराशा होती है। अक्सर हम सोचते हैं कि केवल एयरलाइन की गलती है, लेकिन असल में मौसम, बादल, बर्फ, तूफ़ान या धुंध जैसा मौसमी कारन या एयरलाइन नीति, ओवरबुकिंग, बोटरैक हालात और आंतरिक प्रॉसेस भी बड़ा रोल निभाते हैं। इस पहली पैराग्राफ में हमने मुख्य तीन एंटिटीज़ को जोड़ दिया: उड़ानें रद्द – कारण, मौसम और एयरलाइन नीति। इससे आगे पढ़ते हुए आप समझेंगे कि अधिकार और समाधान कहाँ छुपे हैं।

एक सामान्य त्रिपल यहाँ से शुरू होता है: उड़ानें रद्द समावेश करती हैं एयरलाइन नीति, और DGCA नियम, भारतीय नागरी हवाई अनियमितताएँ जो यात्री सुरक्षा और अधिकार निर्धारित करती हैं। यानी अगर हवामान खराब है, तो एयरलाइन को DGCA के मार्गदर्शन के तहत रद्द करना पड़ सकता है, लेकिन साथ ही उन्हें यात्रियों को सूचना देना और वैकल्पिक विकल्प देना भी अनिवार्य है।

अब बात करते हैं यात्री अधिकार की। जब आपका टिकट बुक हो चुका हो और उड़ान रद्द हो जाए, तो आप एक निश्चित कम्पेनसेशन, वित्तीय या वैकल्पिक यात्रा सुविधा का हक़दार होते हैं। यह हक़ सही ढंग से समझने में अक्सर लोग उलझ जाते हैं क्योंकि एजेंट और एयरलाइन की शर्तें जटिल लगती हैं। सरल शब्दों में, यदि रद्दीकरण 24 घंटे से कम समय में सूचित किया गया, तो एयरलाइन को पूर्ण रिफंड या पुनः बुकिंग देना आवश्यक है; यदि रद्दीकरण दो दिन से अधिक समय में बताया गया, तो वैकल्पिक फ्लाइट या रिफंड का विकल्प प्रस्तुत करना चाहिए। यहाँ DGCA के नवीनतम संशोधित दिशानिर्देश मददगार होते हैं।

आप पूछेंगे, "अगर मौसम की वजह से रद्दीकरण हुआ तो क्या अलग प्रक्रिया है?" हाँ, मौसम‑जनित रद्दीकरण को फोर्स मैजूर माना जाता है। इस स्थिति में एयरलाइन को रिफंड देना अनिवार्य नहीं, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था, समान वर्ग की अगली उपलब्ध उड़ान या फ्रीज्ड टिकट देना ज़रूरी है। कई बार लोग सोचते हैं पूरी राशि नहीं लौटेगी, पर DGCA ने हालिया अद्यतन में कहा है कि यदि एयरलाइन ने उचित सूचना नहीं दी, तो उन्हें पूरा रिफंड देना पड़ेगा, चाहे कारण मौसम ही क्यों न हो।

आगे बढ़ते हुए, हमें समझना चाहिए कि बुकिंग प्लेटफॉर्म, जैसे MakeMyTrip, Cleartrip, या एयरलाइन की आधिकारिक साइट भी इस प्रक्रिया में भूमिका निभाते हैं। अगर आप थर्ड‑पार्टी एप से बुकिंग कर रहे हैं, तो उनका ग्राहक सेवा विभाग भी रिफंड या पुनः बुकिंग में मदद कर सकता है, लेकिन अंततः जिम्मेदारी एयरलाइन की होती है। इसलिए शिकायत करते समय दोनों पक्षों को एक साथ उल्लेख करना चाहिए, इससे समाधान तेज़ हो जाता है।

आपके पास एक और महत्वपूर्ण टूल है – ट्रैवल इंश्योरेंस, प्रत्येक उड़ान रद्दीकरण या देरी पर कवरेज प्रदान करने वाला बीमा। अगर आपकी पॉलिसी में “कान्सिलेशन कलेज” कवर है, तो आप सीधे बीमा कंपनी से दावा कर के खर्च वापस पा सकते हैं, चाहे एयरलाइन ने रिफंड दिया हो या नहीं। यह विकल्प अक्सर कम ज्ञात रहता है, लेकिन कई यात्रियों ने इसे अपनाकर बड़ी रकम बचाई है।

इन सभी बिंदुओं को देख कर आप समझेंगे कि उड़ानें रद्द सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि कई एंटिटीज़ के बीच का इंटरैक्शन है। आप कब, कैसे, और किसके पास शिकायत लिखें, यह जानने से आपका समय और पइसे दोनों बचेंगे। नीचे आपने कई समाचार लेख देखेंगे – वे सभी इस बड़े परिदृश्य के अलग‑अलग पहलू दहाते हैं, चाहे वह एयरलाइन की नई भर्ती खबर हो, या मौसम चेतावनी। अब आगे बढ़िये, आपका अगला कदम क्या होगा, इस गाइड में बताए गए टिप्स से ही तय होगा।

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28 जून 2024 को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के टर्मिनल 3 की छत का एक हिस्सा गिर गया, जिसके कारण कई उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इस घटना से हवाई यात्रा में बड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ। हवाईअड्डा अधिकारियों ने तुरंत इलाके को खाली कराया और जांच शुरू की।