जब कोको गौफ़, विश्व नंबर 2 कीशनलिटी अमेरिका ने विंबलडन 2025लंदन के पहले राउंड में सामना किया, तो हर कोई आश्चर्यचकित हो गया। 1 जुलाई 2025 को कोर्ट नंबर 1 पर, ऐनरैन्ज़्ड यूक्रेनी प्रो डेयान यास्त्रेम्स्का (विश्व रैंक 42) ने 7‑6 (7‑3), 6‑1 से सीधे जीत दर्ज की। यह हावी हार, गौफ़ के फ्रेंच ओपन जीत के बाद सबसे पहले ग्रैंड स्लैम बाहर होने की कहानी बन गई।
कोको गौफ़ ने पिछले महीने फ्रेंच ओपन 2025 में अरणा सबालेन्का को हराकर दूसरा ग्रैंड स्लैम खिताब जीता था। उस जीत के बाद, वह "परिचयित" का शहद चूसते‑झलकते नहीं रही—जैसे ही हरे‑घास पर कदम रखा, उसके खेल की असुरक्षा उभरने लगी। इतिहास में केवल दो खिलाड़ी (सेबेस्टियन लॉड्रान 1990, और यूजेन वॉर्ड 1975) ने फ्रेंच ओपन जीतने के बाद विंबलडन के पहले राउंड में बाहर हुए थे, तो इस जीत‑हार की जोड़ी बहुत कम देखी गयी है।
पहले सेट में दोनों खिलाड़ियों ने टाई‑ब्रेक तक पहुंच कर विरोधाभास दिखाया। यास्त्रेम्स्का ने 7‑3 से टाई‑ब्रेक जीत लिया और फिर दूसरे सेट में 6‑1 से रफ़्तार पकड़ ली। गौफ़ ने पूरे मैच में केवल छह ही विजेताओं को मार पाया, जबकि 29 अनिवार्य त्रुटियां (unforced errors) और नौ डबल‑फ़ॉल्ट्स उनका खुद का बोझ बन गए। ये आँकड़े कई बार दिखाते हैं कि किस तरह दूसरे सर्विस पॉइंट पर उनका भरोसा टूट गया (केवल 44 % सफलता)।
कोर्ट का रूफ़ बंद था, इसलिए मौसम का कोई असर नहीं था—सिर्फ़ मानसिक दबाव और तकनीकी कमी ही कारण थी।
मैच के बाद गौफ़ ने कहा, "मैं मानसिक रूप से बहुत अधिक भार के कारण थोड़ा-अधूरा महसूस कर रही थी। फ्रेंच ओपन जीतने के बाद जश्न मनाने और फिर से फोकस करने के लिए मेरे पास पर्याप्त समय नहीं था।" दूसरी ओर, 24 साल की यास्त्रेम्स्का ने भावना से भरे स्वर में कहा, "यह मेरे करियर की सबसे बड़ी जीत है। मैं बहुत खुश हूँ कि मैंने ऐसी बड़ी अवसर को पकड़ा।" उनका उत्साह कोर्ट के किनारे से गूँज रहा था।
कोको गौफ़ की हार के बाद जेसिका पैगुला (विश्व रैंक 3) भी पहले राउंड में एलिसाबेट्टा कोच्चियारेट्टो (रैंक 116) से 6‑2, 6‑3 से बाहर हो गई। पैगुला ने कहा, "मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, लेकिन वह अपने स्तर पर बनी रही।" इस दोहरी हार ने अमेरिकी महिला डबल्स और सिंगल्स ड्रा को पूरी तरह से बदल दिया। अब टॉप‑सीड खिलाड़ी के रूप में उनकी जगह पर नई चुनौती आएगी, और यह साल के बाकी ग्रैंड स्लैम में भी देखी जाएगी।
विंबलडन के बाकी दौर में अब तक 15 महिला खिलाड़ी बचे हैं। जर्मनी की इलिना साकी और ऑस्ट्रेलिया की एशन स्मिथ जैसी युवा सितारों को अब मौका मिल रहा है कि वे खुद को स्थापित कर सकें। वहीं, गौफ़ को अपने ग्रास कोर्ट फ़ॉर्म को फिर से ढालना होगा, नहीं तो वह अगली टूर में भी बाधित हो सकती हैं। यास्त्रेम्स्का के लिए यह जीत आत्मविश्वास का बूस्टर है—शायद वह इस साल के अंत में बीजिंग ओपन में भी नाम बना ले।
विंबलडन, 1877 से चल रहा सबसे पुराना टेनिस टूर्नामेंट, हर साल 128 पुरुष और 128 महिला खिलाड़ी को अपने कॉर्ट्स पर लाता है। कोर्ट नंबर 1, अक्सर कॉर्ट नंबर 2 के समान ध्वनि और रोशनी वाला, यहाँ कई बार अद्भुत अपसेट हुए हैं—जैसे 1997 में लिसा रैडविल का जर्नी ओ'सुलिवन पर जीत। इस साल की पहली राउंड में दो अमेरिकी टॉप‑3 खिलाड़ी बाहर हो जाना, ट्रेडिशनल लेजन को चुनौती देता है।
पहले राउंड में बाहर होने के कारण गौफ़ को लगभग 4‑5 रैंकिंग पॉइंट्स मिलेंगे, जिससे वह विश्व नंबर 3 के करीब पहुंच सकती हैं। हालांकि, फ्रेंच ओपन जीत ने उसे बड़े बोनस दिलाए हैं, इसलिए कुल प्रभाव मध्यम रहेगा।
यास्त्रेम्स्का का इतिहास हमेशा बाधाओं से भरा रहा है—संकट और चोटें। यह जीत दिखाती है कि यूक्रेन की नई पीढ़ी अब भी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती है, विशेषकर जब वे मानसिक दृढ़ता दिखाते हैं।
अधिकांश अमेरिकी खिलाड़ी हार्ड या क्लीट कोर्ट पर बड़े होते हैं, इसलिए उनके फूटवर्क और स्लाइडिंग कौशल ग्रास पर कमज़ोर पड़ते हैं। कोचिंग में बदलाव और अधिक ग्रास‑सत्रों से इस अंतर को कम किया जा सकता है।
पैगुला को इस हार से एक चेतावनी मिल गई है—ग्रास कोर्ट पर टॉप‑प्लेयर को निशाना बनाकर खेलना कठिन है। वह आगामी हिल्टन कॉर्ट टेनिस चैलेंज में अपनी सर्विस पर काम करने की संभावना है, ताकि अगली बड़ी जीत की राह आसान हो।
वर्तमान मिलान और फॉर्म के आधार पर, जर्मनी की इलिना साकी और ऑस्ट्रेलिया की एशन स्मिथ को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। दोनों ने पहले ही क्वार्टर फ़ाइनल में बायोलॉजिकल फिटनेस और सर्विस में उच्च स्तर दिखाया है।
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