भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 अगस्त, 2024 को आयोजित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में जनहित को देखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस बैठक में फैसला किया गया कि वर्तमान में रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा जाएगा। यह निर्णय आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में एक संवाददाता सम्मेलन में घोषित किया। इस अवसर पर उन्होंने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि की दर 7.2% होने का अनुमान भी प्रस्तुत किया।
रेपो दर को स्थिर रखने का निर्णय महंगाई को ध्यान में रखते हुए लिया गया। विशेषकर खाद्य क्षेत्र में महंगाई एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है। जबकि कोर महंगाई को नियंत्रित रखा गया है और वस्त्र कीमतों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है, फिर भी खाद्य महंगाई एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बनी हुई है। आरबीआई ने स्पष्ट किया कि महंगाई अभी भी उसकी लक्षित सीमा से अधिक है, जिससे यह संभावना नहीं है कि केंद्रीय बैंक दरें तब तक घटाएगा जब तक महंगाई 4% के लक्ष्य के साथ संगत नहीं हो जाती।
इस निर्णय का प्रभाव व्यापारियों और उद्योगपतियों के विचारों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। यह निर्णय उत्पन्न हो रहे व्यापारिक माहौल को दर्शाता है, जहाँ समझदारीपूर्वक उठाए गए कदम व्यवसायिक स्थिरता की दिशा में बढ़ते हैं। बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में गवर्नर दास ने कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति और लंबी अवधि के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
एमपीसी की बैठक के दौरान, अधिकांश सदस्यों ने रेपो दर को स्थिर रखने का समर्थन किया, जबकि दो सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इसकी वजह से यह निर्णय और अधिक गंभीर होता है क्योंकि समूह में विविध विचारों के बावजूद, एक स्थिर दर को आवश्यक मानते हुए इसे बनाए रखने के पक्ष में बहुमत आया।
महंगाई के प्रति आरबीआई की सर्तकता और उसके समाधानों पर ध्यान देना आवश्यक है। वर्तमान समय में खाद्य महंगाई एक गंभीर स्थिति बनी हुई है और यह वित्तीय बाजारों पर भी गहरा प्रभाव डालती है। आरबीआई यह सुनिश्चित कर रही है कि व्हलेंटी प्रयास किए जाएं जिससे महंगाई दर नियंत्रित रहे और लोगों को राहत मिले।
वस्त्र कीमतों में गिरावट और कोर महंगाई के नियंत्रित होने के बावजूद खाद्य महंगाई के कारण आरबीआई की चिंता वाजिब है। आरबीआई ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि यद्यपि मूल्य दरों में उल्लेखनीय गिरावट आई है, फिर भी खाद्य वस्त्रों की महंगाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
आगे की रणनीति और नीति बदलते आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए बनाई जाएगी। रीपो दर को स्थिर रखने का निर्णय एक ऐसा प्रयास है जिससे आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके और मौजूदा चुनौतियों का सामना किया जा सके। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद इससे जुड़े सभी सवाल और जवाब भी आरबीआई के एक्स हैंडल पर लाइव स्ट्रीम किए जाएंगे, जिससे आम जनता भी इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी जानकारी बढ़ा सके।
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