भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा 2025: विकास, वित्तीय घाटा और कर पर मुख्य बिंदु

अर्थसर्वेक्षण 2025, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया, भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और इसकी भविष्य की संभावनाओं पर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में सामने आया है। इस सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, अपनी घरेलू वृद्धि और स्थिरता को बनाए रखने में सक्षम है। विशेष रूप से, विमुद्रीकरण को एक ऐसा प्रमुख तत्व बताया गया है जो भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

जीडीपी वृद्धि और आर्थिक स्थिति

सर्वेक्षण के अनुसार, 2025 में भारत का वास्तविक जीडीपी 6.4% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से कृषि और सेवाओं के क्षेत्र द्वारा संचालित है। यह वृद्धि, जहां एक ओर भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक आर्थिक अस्थिरताओं के बावजूद एक स्थिर घरेलू मांग को भी इंगित करता है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर, 2024 को एक ऐसा वर्ष माना गया है जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था में असमान वृद्धि देखी गई, खासकर विनिर्माण क्षेत्र में धीमापन उल्लेखनीय था।

घरेलू वृद्धि के चालक

सर्वेक्षण घरेलू वृद्धि को लेकर अत्यधिक आशावादी है। इसके अनुसार, वैश्विक व्यापार की धीमी गति के प्रकाश में घरेलू विकास कारकों को और अधिक महत्व दिया गया है। भारत में ऊर्जा संक्रमण को लेकर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिसमें इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने का समर्थन किया गया है। इसके साथ ही, तकनीकी प्रगति के लाभ उठाने के लिए कौशल और शिक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।

सेवाओं के क्षेत्र की स्थिति

सेवाओं के क्षेत्र की स्थिति

सेवाओं का क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्तंभ के रूप में उभरा है, जिसने आर्थिक विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इस क्षेत्र ने चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन इसके भीतर दिखाए गए लचीलेपन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद की है। इसके अलावा, ग्रामीण मांग में हुए सुधार ने अर्थव्यवस्था के सकारात्मक संकेतक प्रदान किए हैं, जो आर्थिक विकास को सुगम बनाता है।

बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र

बैंकिंग क्षेत्र में परिसंपत्ति की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। इसके पीछे रेगुलेटरी सुधार और बुनियादी ढांचे में निवेश को प्रमुख कारक माना गया है। बैंकिंग क्षेत्र में हुई इन प्रगति ने अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में मदद की है, जो लाभकारी सेवा व्यापार अधिशेष के साथ संयोजित होकर मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता को बनाए रखता है।

भविष्य की संभावनाएँ और नीतिगत दृष्टिकोण

भविष्य की संभावनाएँ और नीतिगत दृष्टिकोण

सर्वेक्षण 2025-26 के लिए 6.3 से 6.8% की जीडीपी वृद्धि का अनुमान प्रस्तुत करता है, जिसमें स्थिर निजी उपभोग और मजबूत बाहरी संतुलन को इसकी वजह बताया गया है। यह सुझाव देता है कि आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कर राहत उपायों, कर दर विनियमन, पूंजीगत व्यय को बढ़ावा, और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि की संभावना पर जोर दिया जाएगा, जबकि वित्तीय समेकन को बनाए रखा जाएगा। इस प्रकार, यह सर्वेक्षण आने वाले केंद्रीय बजट 2025 के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।

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