जब बिटकॉइन ने 5 अक्टूबर 2025 को एशियाई ट्रेडिंग के दौरान $125,689 की आकाश छूती कीमत पर पहुँचकर इतिहास रचा, तो बाजार में ज़ोरदार उछाल देखा गया। इस रिकॉर्ड को पहले अगस्त 2025 में सेट किए गए शिखर को पार करने में केवल कुछ घंटों का ही समय लगा। इस कीमत के पीछे तीन मुख्य ताकतें मिलकर एक ‘परफेक्ट स्टॉर्म’ पैदा कर रही थीं, जिसे विशेषज्ञ अब ‘Uptober’ कहकर बुलाते हैं।
पहले रिकॉर्ड का उल्लेख करना जरूरी है – अगस्त 2025 में बिटकॉइन ने $119,452 का नया शिखर छुआ था, लेकिन वह उछाल अस्थायी था। इस बार, एशिया के प्रमुख वित्तीय केंद्रों, जैसे टोक्यो, सिंगापुर और हांगकांग में तेज़ खरीदारी ने कीमत को नई ऊँचाइयों तक धकेल दिया। टोक्यो के ट्रेडर्स ने सुबह 9 बजे से ही बड़े ऑर्डर भेजे, जिससे वैश्विक मार्केट में तरंगें दौड़ गईं।
सबसे बड़ा कारण है अमेरिकी स्पॉट ProShares Bitcoin Strategy ETF में लगातार बढ़ता निवेश। इस ETF के माध्यम से बड़े वित्तीय संस्थानों ने लाखों डॉलर की खरीदारी की, जिससे बाजार की गहराई (डिप्थ) बढ़ी और कीमत पर स्थायी बुलिश दबाव बना। इस प्रवाह को अक्सर ‘इंस्टिट्यूशनल बाय‑बैक’ कहा जाता है, क्योंकि इसे देख कर रिटेल निवेशकों ने भी अपनी पोजीशन बढ़ा दी।
दूसरी तरफ, यू.एस. की मौद्रिक नीति में अस्थिरता और डॉलर की निरंतर कमजोरी ने कई निवेशकों को वैकल्पिक संपत्ति की तलाश में धकेल दिया। कई विशेषज्ञ अब डॉलर के संभावित ‘डिबैसमेंट’ को लेकर चिंतित हैं, और इस कारण बिटकॉइन को सुरक्षित आश्रय (हेज) माना जा रहा है। खासकर यूरोप और लैटिन अमेरिका के पोर्टफोलियो मैनेजर्स ने अपनी चलन‑धाराएँ इस डिजिटल सोने की ओर मोड़ दीं।
अंत में, ‘Uptober’ जैसा नामक मौसमी पैटर्न फिर से काम आया। पिछले पाँच वर्षों में बिटकॉइन ने अक्टूबर में औसतन 12% की अतिरिक्त वृद्धि दर्ज की है। एनालिस्ट जेमी डॉग्लस, जो ग्लोबल क्रिप्टो इंसाइट्स में वरिष्ठ विश्लेषक हैं, ने कहा, “इतिहास ने दिखाया है कि अक्टूबर में निवेशकों की उत्सुकता प्राकृतिक रूप से बढ़ जाती है, और इस बार भी वही देखा गया।”
दूसरे दिन ही ट्रेडिंग वॉल्यूम में 45% की उछाल दर्ज हुई, और कई बड़े एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग फीस भी बढ़ी। बीटसीआर (Bitcoin Retail Index) ने इस सप्ताह के अंत में 18% की बढ़ोतरी दिखायी। एक प्रमुख क्रिप्टो‑फ़ोरम के पोस्ट में एक रिटेल ट्रेडर ने लिखा, “मैंने उम्मीद नहीं की थी कि इतना बड़ा उछाल आएगा, पर अब मैं अपनी सारी बची हुई बचत यहाँ ही लगाने की सोच रहा हूँ।”
दूसरी ओर, नियामक संस्थाएँ भी सतर्क हैं। यू.एस. सिक्योरिटीज़ अण्डर सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमिशन (SEC) ने अभी तक कोई नई नीतियां नहीं घोषित की हैं, पर उन्होंने पिछले हफ्ते एक बयान दिया कि वे डिजिटल एसेट्स की निगरानी को सख्त करेंगे। इस दुविधा के बीच, संस्थागत निवेशकों ने कहा कि “बाजार की स्थिरता के लिए स्पष्ट नियमों की जरूरत है, पर अभी तक ETF प्रवाह को रोकने का कोई इरादा नहीं है।”
आगे देखते हुए, कई कारक कीमत को तय करेंगे। यदि यू.एस. डॉलर की कमजोरी जारी रहती है और ETF में नई धनराशि आती रहे, तो बिटकॉइन के लिए ऊँची सीमा का रास्ता खुला रहेगा। दूसरी ओर, यदि नियामक दवाब बढ़ता है या प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरें घटती हैं, तो बाजार में थोड़ा ठण्डक आ सकता है।
एक वित्तीय विश्लेषक, अनीता वर्मा, ने कहा, “अगले तीन महीनों में हम देखेंगे कि क्या निवेशकों का भरोसा टिकेगा या फिर बाजार में ‘क्रैश’ की प्रवृत्ति लौटती है।” यही कारण है कि निवेशकों को अपने पोर्टफ़ोलियो को विविध बनाकर रखना चाहिए, चाहे वह बिटकॉइन हो या पारंपरिक शेयर‑बांड।
ऑक्टोबर का यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि डिजिटल मुद्राओं के प्रति बढ़ते भरोसे का संकेत है। संस्थागत निवेश, आर्थिक अनिश्चितता और मौसमी प्रवृत्तियों के संगम से बिटकॉइन ने इस बार सच्ची मूल्य स्थिरता दिखायी। फिर भी, बाजार की अस्थिर प्रकृति को देखते हुए, निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए और दीर्घकालिक रणनीति अपनानी चाहिए।
मुख्यतः संस्थागत संस्थाएँ, जैसे हेज फंड और पेनशन फंड, जिन्होंने हाल ही में ProShares Bitcoin Strategy ETF में बड़ी रकम लगाई है, इस रिकॉर्ड से लाभान्वित होंगी। साथ ही, एशियाई रिटेल निवेशकों के लिये यह एक भरोसेमंद एसेट बन कर उभरा है।
डॉलर की कमजोरी आम तौर पर बिटकॉइन जैसी वैकल्पिक संपत्तियों को समर्थन देती है, परन्तु अगर मौद्रिक नीति में अचानक बदलाव या नियामक प्रतिबंध आए तो यह रिवर्स भी हो सकता है। इसलिए यह एक स्थायी नियम नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण कारक है।
Uptober वह प्रवृत्ति है जहाँ बिटकॉइन ने पिछले पाँच वर्षों में अक्टूबर महीने में औसतन 12% की अतिरिक्त वृद्धि दर्ज की है। यह ऐतिहासिक डेटा पर आधारित एक पैटर्न है, पर भविष्य में भी यही सुनिश्चित नहीं है।
SEC ने अभी तक कोई नई नियामक नीति नहीं विशलषित की, पर उन्होंने कहा है कि डिजिटल एसेट्स की निगरानी को सख्त किया जाएगा। इस तरह की सतर्कता बाजार में अनिश्चितता पैदा कर सकती है, लेकिन अभी तक ETF प्रवाह को रोकने का कोई इरादा नहीं दिखा है।
मुख्य संकेतकों में संस्थागत ETF प्रवाह, अमेरिकी डॉलर का मूल्य, वैश्विक ब्याज दरें और नियामक नीतियों में बदलाव शामिल हैं। इन कारकों के मिश्रण से बिटकॉइन की कीमत में अगली बड़ी छलांग या संभावित गिरावट तय होगी।
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