आर्मेनिया में हाल ही में एक बड़ा शैक्षिक परिवर्तन देखा गया जब सरकार ने एक निर्णय लिया जिसके तहत स्कूलों में अनिवार्य रूसी कक्षाओं में कटौती की जाएगी। यह बदलाव जुलाई में घोषित किया गया था और इसके बाद से इसने देश में कई प्रकार की प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। लंबे समय से आर्मेनियाई स्कूलों के पाठ्यक्रम में रूसी भाषा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है, और इस निर्णय ने उस पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
इस निर्णय को शिक्षा प्रणाली में सुधार की व्यापक पहल का हिस्सा माना जा रहा है। सरकार का मत है कि शिक्षण पद्धति को पश्चिमी मानकों के करीब लाने की आवश्यकता है। इससे छात्रों को अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलेगा। एक समतुल्य भाषा शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, इस योजना के तहत रूसी कक्षाओं की संख्या में कमी की जाएगी।
जहां एक ओर इस निर्णय के समर्थक इसका स्वागत कर रहे हैं, उन्होंने इसे सकारात्मक परिवर्तन और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक कदम माना है। उनके अनुसार, यह निर्णय छात्रों को अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान केंद्रित करने और उनकी समग्र भाषा कौशल को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगा।
वहीं दूसरी ओर, इस फैसले के खिलाफ कई आवाजें उठ रही हैं। आलोचकों का मानना है कि यह कदम रूसी भाषा की प्रवीणता और आर्मेनिया और रूस के बीच सांस्कृतिक और भाषाई संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आर्मेनियाई समाज के कुछ हिस्सों ने इस निर्णय पर चिंता जताई है कि इससे रूसी संस्कृति को समझने और उसके साथ पारंपरिक संबंध बनाए रखने में कमी आ सकती है।
इस बहस ने आर्मेनिया के जटिल जियोपॉलिटिकल परिदृश्य को फिर से प्रकट किया है। देश रूस और पश्चिम के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की आवश्यकता पर बल देता आ रहा है। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम पश्चिमी मानकों के साथ आर्मेनियाई शिक्षा प्रणाली को अधिक संरेखित करेगा, वहीं अन्य इसे रूस के साथ पारंपरिक संबंधों से दूरी के रूप में देख रहे हैं।
इस निर्णय ने रूसी मीडिया का भी ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें कुछ रिपोर्टों ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे रूस के साथ पारंपरिक संबंधों से एक कदम पीछे हटने के रूप में देखा है। आर्मेनिया और रूस के बीच लंबे समय से सांस्कृतिक और भाषाई संबंध रहे हैं, और इस फैसले को कुछ लोग उन संबंधों पर खतरे के रूप में देख रहे हैं।
आर्मेनियाई सरकार का यह निर्णय शिक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार की दिशा में एक व्यापक बहस का हिस्सा है। विभिन्न दृष्टिकोणों और मतभेदों के बावजूद, यह स्पष्ट है कि यह निर्णय न केवल शिक्षा प्रणाली को प्रभावित करेगा, बल्कि यह आर्मेनिया की क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर भी प्रभाव डाल सकता है।
अंततः, यह निर्णय किस दिशा में जाएगा, यह भविष्य के कदमों पर निर्भर करेगा। क्या आर्मेनियाई सरकार अपने नागरिकों की चिंताओं को ध्यान में रखेगी और इस निर्णय को संशोधित करेगी? या क्या यह इस दिशा में आगे बढ़ेगी, इसे समय ही बताएगा।
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