जब हम बात करते हैं अर्थव्यवस्था, देश का कुल उत्पादन‑उपभोग‑निवेश चक्र और उसका आर्थिक ढांचा. इसे अक्सर आर्थिक प्रणाली कहा जाता है, जो राष्ट्रीय विकास और वित्तीय स्थिरता को तय करता है। इस प्रणाली में विकास, भौतिक और सामाजिक प्रगति की गति और वित्तीय घाटा, सरकारी आय‑व्यय में अंतर जो बजट को प्रभावित करता है जैसे प्रमुख तत्व शामिल होते हैं। विकास इस बात को दिखाता है कि अर्थव्यवस्था कितनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है, जबकि वित्तीय घाटा अर्थव्यवस्था को सीमित कर सकता है। इस तरह, "अर्थव्यवस्था" समावेशित करती है "विकास" और "वित्तीय घाटा" (अर्थव्यवस्था → समेटता → विकास, अर्थव्यवस्था → प्रभावित → वित्तीय घाटा)। यह संबंध समझने से आप आर्थिक नीतियों की दिशा को बेहतर देख सकते हैं।
एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिये केवल विकास ही नहीं, बल्कि आयकर जैसे राजस्व स्रोत भी आवश्यक हैं। आयकर, करदाता से सरकार को मिलने वाला प्रमुख राजस्व वित्तीय घाटे को कम करने का मुख्य साधन है। जब आयकर संग्रह बढ़ता है, तो सरकारी खर्चों को संतुलित करने में मदद मिलती है, जिससे वित्तीय घाटा घटता है (आयकर → कमाता → वित्तीय घाटा)। इसके अलावा, आयकर से प्राप्त निधि विकास परियोजनाओं में लगाई जाती है, जिससे अर्थव्यवस्था का समुचित विस्तार संभव होता है (आयकर → समर्थन → विकास)। यह तिकड़ी—अर्थव्यवस्था, विकास, और आयकर—परस्पर जुड़ी हुई है और साथ मिलकर आर्थिक स्थिरता बनाती है।
वर्तमान में, भारत के अर्थसर्वेक्षण, वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आर्थिक डेटा का विस्तृत संग्रह 2025 में प्रमुख बदलावों को उजागर कर रहा है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, घरेलू वृद्धि को बनाए रखने के लिये विमुद्रीकरण को एक प्रमुख चालक माना गया है। अर्थसर्वेक्षण यह भी दर्शाता है कि वित्तीय घाटा धीरे‑धीरे घट रहा है, जबकि आयकर संग्रह में सुधार हो रहा है, जिससे भविष्य में विकास की गति और तेज़ होने की संभावना है (अर्थसर्वेक्षण → मापता → अर्थव्यवस्था, आर्थिक → प्रभावित → विकास)। नीचे आपको इस विषय से जुड़े विस्तृत लेख और विश्लेषण मिलेंगे, जो आपको ताज़ा आँकड़े, नीति‑विश्लेषण और भविष्य की दिशा समझने में मदद करेंगे।
अर्थसर्वेक्षण 2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें भारत की घरेलू वृद्धि और स्थिरता को वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितताओं के मध्य विमुद्रीकरण को एक महत्वपूर्ण चालक के रूप में उजागर किया गया है। यह सर्वेक्षण भारत की आर्थिक स्थिति और भविष्य के संभावना पर प्रकाश डालता है।