धनबाद में 130 नई शराब की दुकानें — ई‑लॉटरी से मिली 104 कॉम्पोजिट, 26 कंट्री लाइसेन्स

ई‑लॉटरी प्रक्रिया और परिणाम

झारखंड एक्साईज़ और प्रतिबंध विभाग ने हाल ही में एक व्यापक ई‑लॉटरी चलाकर राज्य भर में खुदरा शराब की दुकानें आवंटित कीं। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य पहले के काले‑बाजार और एजेंट‑आधारित प्रणाली की असपष्टता को खत्म करना था। सभी आवेदनों को धनबाद लिकर शॉप के नाम से दर्ज किया गया और उन्हें Jharkhand Excise License Online System (JELONS) के माध्यम से डिजिटल रूप से जमा किया गया। आवेदन की अंतिम तिथि 8 अगस्त 2025 तय की गई, जिसके बाद एक कंप्यूटर‑आधारित लॉटरी हुई, जिसे एक्साईज़ विभाग की वेबसाइट और प्रत्येक जिले की साइट पर लाइव टेली-कास्ट किया गया।

धनबाद जिले में कुल 490 आवेदन मिले, जो रांची के बाद दूसरा सबसे अधिक था। लॉटरी के परिणाम 22 अगस्त 2025 को असिस्टेंट कमिश्नर, एक्साईज़, धनबाद ने आधिकारिक तौर पर घोषित किए। इस बार धनबाद को 104 कॉम्पोजिट (मिश्रित शराब और देशी शराब दोनों बेचने वाली) और 26 कंट्री (देशी शराब‑विशेष) लाइसेंस मिले। इन लाइसेंसों के तहत चयनित उद्यमियों को 1 सितंबर 2025 से 31 मार्च 2030 तक पाँच साल का संचालन अधिकार मिला।

नयी एक्साईज़ नीति के प्रमुख बिंदु

नयी एक्साईज़ नीति के प्रमुख बिंदु

नई नीति को झारखंड के कैबिनेट ने सितंबर 2025 से प्रभावी करने की मंज़ूरी दी है। प्रमुख बदलावों में निजी क्षेत्र को खुदरा बिक्री का हक देना, जबकि राज्य की Jharkhand State Beverage Corporation Limited (JSBCL) अभी भी थोक वितरण की जिम्मेदारी रखेगी। एक व्यक्ति को एक जिले में अधिकतम 12 दुकानें और पूरे राज्य में कुल 36 दुकानें चलाने की अनुमति है, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमियों को हिस्सेदारी मिल सके।

दुकानें चार‑चार के समूह में बाँटी जाएँगी, जिससे नियामक निगरानी आसान होगी। साथ ही, नीति ने बड़े शॉपिंग मॉल और डिपार्टमेंट स्टोर्स में शराब बिक्री की भी अनुमति दी, जिससे उपभोक्ता सुविधाजनक स्थानों पर खरीदारी कर सकें। सरकार मॉडल शॉपों की भी योजना बना रही है, जहाँ केवल प्रमुख ब्रांडों की शराब उपलब्ध होगी, जिससे काले‑बाजार का दबाव कम हो सके।

कुल मिलाकर झारखंड में खुदरा शॉपों की संख्या 1,453 से बढ़कर लगभग 1,500 करने का लक्ष्य रखा गया है। यह वृद्धि नई नीति के कार्यान्वयन के एक महीने भीतर पूरी होने की उम्मीद है। पिछले सिस्टम में तृतीय‑पक्ष एजेंटों के दबाव, राजस्व हानि और गैर‑पारदर्शी प्रक्रिया की कई शिकायतें थीं, जो अब डिजिटल लॉटरी और ऑनलाइन मॉनिटरिंग के माध्यम से दूर होनी चाहिए।

व्यापारी वर्ग ने भी इस पहल को स्वागत किया है, क्योंकि अब वे सीधे आवेदन कर सकते हैं, कोई मध्यस्थ नहीं। साथ ही, ई‑लॉटरी के लाइव प्रसारण से भरोसा बढ़ा है, जिससे भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की डिजिटल नीति लागू करने की संभावना दिखती है।

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