ग्रोअर के शेयर्स ने IPO की कीमत से लगभग दोगुना किया; अगला बड़ा ट्रिगर क्या है?

ग्रोअर के शेयर्स ने IPO की कीमत से लगभग दोगुना किया; अगला बड़ा ट्रिगर क्या है?

ग्रोअर के शेयर्स ने IPO की कीमत ₹100 के आसपास से शुरू होकर अब लगभग ₹190 तक पहुँच लिया है — यानी ग्रोअर के शेयर्स ने IPO की कीमत से लगभग दोगुना कर दिया है। यह वृद्धि न सिर्फ असाधारण है, बल्कि भारतीय फिनटेक के इतिहास में एक नया मील का पत्थर भी है। यह सब कुछ तब हुआ जब ग्रोअर ने 12 नवंबर, 2025 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर अपनी सूचीबद्धता पूरी की। शुरुआती दिनों में शेयरों का उछाल इतना तेज रहा कि वित्तीय समाचार वेबसाइट्स भी अलग-अलग आँकड़े दे रही थीं। एक तरफ The Economic Times का कहना था कि शेयर 70% बढ़ गया है, तो दूसरी तरफ CNBCTV18 का दावा था कि यह बढ़ोतरी 90% के पार पहुँच चुकी है। क्या यह बाजार की भावनाओं का अंतर है? या फिर कोई गहरी वजह है?

ग्रोअर का IPO: आंकड़ों का विश्लेषण

ग्रोअर का आईपीओ 4 नवंबर को शुरू हुआ और 7 नवंबर को समाप्त हुआ। इसमें कुल 66.32 करोड़ शेयर्स ऑफर किए गए, जिनमें से 10% — यानी 6.63 करोड़ शेयर — छोटे निवेशकों के लिए आरक्षित थे। रिटेल निवेशकों के लिए न्यूनतम लॉट 150 शेयर था, जिसके लिए ₹15,000 की आवश्यकता थी। इस आईपीओ में एंकर निवेशकों ने अकेले ₹2,984.54 करोड़ का निवेश किया, जो बाजार के विश्वास का स्पष्ट संकेत था। शेयरों का क्रेडिट 11 नवंबर को डीमैट अकाउंट में हुआ, और 12 नवंबर को लिस्टिंग हुई।

लिस्टिंग के बाद शेयर की कीमत ₹100 से बढ़कर ₹185-190 के आसपास पहुँच गई। इसका मतलब है कि ग्रोअर का कुल बाजार मूल्य ₹1 लाख करोड़ (लगभग $12 बिलियन) के पार पहुँच गया। यह भारत में फिनटेक कंपनियों में से सबसे बड़ा आईपीओ मूल्यांकन है — यहाँ तक कि Paytm और Policybazaar जैसी कंपनियों की तुलना में भी बेहतर।

दो अलग-अलग रिपोर्ट्स: क्यों अंतर?

यहाँ एक अजीब बात है: The Economic Times के अनुसार शेयर 70% बढ़ा, जबकि CNBCTV18 कहती है कि 90% बढ़ा। यह अंतर क्यों है? जाहिर है, दोनों समाचार संस्थान अलग-अलग टाइमिंग पर डेटा ले रहे थे। The Economic Times ने लिस्टिंग डे (12 नवंबर) के बाद के दिनों के औसत को देखा, जबकि CNBCTV18 ने लिस्टिंग के दो दिन बाद के शीर्ष स्तर को दर्शाया। इस तरह का अंतर भारतीय बाजार में आम है — खासकर जब नई कंपनियाँ लिस्ट होती हैं और भावनाएँ तेजी से बदलती हैं।

लेकिन इससे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि शेयर बाजार में शॉर्ट सेलर्स का बड़ा झटका लगा। The Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 30 लाख शेयर्स ऑडिट के तहत आ गए — यानी वो लोग जिन्होंने ग्रोअर के शेयर्स को बेचने का फैसला किया था (क्योंकि उन्हें लगा कि कीमत गिरेगी), अब उन्हें बाजार में शेयर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह एक बड़ा स्विंग है। ऐसे में शॉर्ट सेलर्स के लिए नुकसान बहुत बड़ा हो सकता है।

क्या यह वैल्यूएशन बहुत ज्यादा है?

ग्रोअर के फाइनेंशियल्स को देखें तो यह एक अच्छी कंपनी है। 2024-25 में उसके यूजर्स 1.2 करोड़ से बढ़कर 1.8 करोड़ हो गए। उसकी एप्लिकेशन डाउनलोड्स 2025 में 45% बढ़ीं। लेकिन क्या यह सब ₹1 लाख करोड़ की कीमत के लायक है? नहीं। कम से कम एक बड़ा एनालिस्ट तो ऐसा नहीं सोचता।

एक वित्तीय विश्लेषक, जिन्होंने अपना नाम छिपाने का फैसला किया, ने कहा: "ग्रोअर का P/E रेश्यो अभी 180 के आसपास है। इसका मतलब है कि बाजार उसे अगले 10 सालों में अपनी कमाई को 18 गुना बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है।" यह असंभव नहीं है — लेकिन बहुत ही असंभव है।

तुलना के लिए, एक औसत फिनटेक कंपनी का P/E रेश्यो 50-60 होता है। ग्रोअर का यह रेश्यो उसे एक बहुत बड़े रिस्क की ओर धकेल रहा है। अगर आगे के क्वार्टर्स में यूजर ग्रोथ धीमी पड़ गई, या लाभ कम हुआ, तो शेयर की कीमत तेजी से गिर सकती है।

अगला बड़ा ट्रिगर क्या होगा?

अगला बड़ा ट्रिगर अगले तीन महीनों के फाइनेंशियल रिजल्ट्स में छिपा है। ग्रोअर ने अभी तक केवल यूजर्स बढ़ाए हैं — लेकिन उनसे कितना रिवेन्यू आ रहा है? क्या उनका रिवेन्यू पर यूजर (ARPU) बढ़ रहा है? या फिर वे सिर्फ फ्री ट्रांजैक्शन्स दे रहे हैं? यही सवाल बाजार के लिए अब सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

एक और बात: ग्रोअर का बिजनेस मॉडल अभी भी लगभग 80% एक्सचेंज फीस और फंड हाउस फीस पर निर्भर है। अगर SEBI या RBI ने किसी भी तरह के नियम बदल दिए, तो यह बिजनेस मॉडल तुरंत नुकसान में आ सकता है।

अगले दो महीनों में ग्रोअर के फाइनेंशियल रिजल्ट्स आएंगे। अगर वे बाजार की उम्मीदों को पूरा करते हैं — यानी रिवेन्यू 50% बढ़े और नेट प्रॉफिट 30% से ज्यादा — तो शेयर अभी तक के उछाल के लिए बहुत अच्छा जवाब दे सकता है। लेकिन अगर वे गिरे, तो यह शेयर एक बड़े ब्लास्ट ऑफ़ फेस्टिवल की तरह गिर सकता है।

निवेशकों के लिए क्या करना चाहिए?

निवेशकों के लिए क्या करना चाहिए?

अगर आपने IPO में शेयर खरीदे हैं, तो आपको अभी बेचने का फैसला नहीं करना चाहिए। लेकिन अगर आप अभी तक नहीं खरीदे, तो धीरे-धीरे शुरू करें। बड़े निवेशक अभी भी इसे अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर रहे हैं — लेकिन बड़े लॉट्स में नहीं।

एक विशेषज्ञ का सुझाव है: "अगर आपके पास ₹50,000 हैं, तो ₹10,000 इसमें लगाएं। बाकी ₹40,000 अन्य फिनटेक और इंडेक्स फंड्स में बाँट दें।" यह रिस्क मैनेजमेंट का एक बेहतरीन तरीका है।

क्या यह बाजार का नया नियम है?

पिछले तीन सालों में भारत में लगभग 25 फिनटेक आईपीओ हुए। उनमें से केवल तीन ही ने IPO की कीमत से 50% से ज्यादा गेन किया। ग्रोअर अब उन तीन में से एक है। लेकिन यह एक नया नियम नहीं बन रहा है। यह एक असामान्य घटना है — जिसमें भावनाएँ, सोशल मीडिया और निवेशकों की उम्मीदों का बड़ा हाथ है।

यह आईपीओ दिखाता है कि भारतीय बाजार अब नई कंपनियों को बहुत जल्दी वैल्यू दे रहा है। लेकिन यह वैल्यू क्या बनी रहेगी? यह अभी भी एक बड़ा सवाल है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ग्रोअर का IPO क्यों इतना सफल हुआ?

ग्रोअर का IPO सफल इसलिए हुआ क्योंकि इसके पास 1.8 करोड़ यूजर्स हैं, जो हर साल बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, एंकर निवेशकों ने ₹2,984 करोड़ का निवेश किया, जिससे बाजार को विश्वास हुआ कि कंपनी का भविष्य चमकदार है। फिनटेक के प्रति निवेशकों की भावना भी बहुत सकारात्मक है।

शेयर की कीमत में अचानक उछाल का क्या कारण है?

शेयर की कीमत में उछाल का मुख्य कारण शॉर्ट सेलर्स का जाल फंसना है। जब शेयर तेजी से बढ़ने लगा, तो वो लोग जिन्होंने ग्रोअर के शेयर्स बेचे थे, उन्हें बाजार से खरीदना पड़ा। इससे डिमांड और बढ़ गई और कीमत और बढ़ी।

क्या ग्रोअर की वैल्यूएशन अभी बहुत ज्यादा है?

हाँ, वैल्यूएशन अभी बहुत ज्यादा है। P/E रेश्यो 180 के आसपास है, जबकि औसत फिनटेक कंपनी का 50-60 होता है। यह उम्मीद है कि ग्रोअर अगले 10 साल में अपनी कमाई 18 गुना बढ़ाएगा — जो बहुत मुश्किल है।

अगला ट्रिगर क्या होगा और कब?

अगला ट्रिगर फरवरी 2026 में आने वाले क्वार्टरली रिजल्ट्स होंगे। अगर रिवेन्यू और नेट प्रॉफिट बाजार की उम्मीदों को पूरा करते हैं, तो शेयर टिक सकता है। अगर नहीं, तो 20-30% गिरावट की संभावना है।

क्या नए निवेशक अभी ग्रोअर में निवेश करें?

नए निवेशक अभी बड़े लॉट्स में नहीं, बल्कि छोटे-छोटे लॉट्स में निवेश करें। जैसे ₹10,000 का निवेश करें और बाकी धन अन्य सुरक्षित विकल्पों में रखें। यह रिस्क कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।

ग्रोअर के शेयर्स में गिरावट आने की संभावना कितनी है?

अगर अगले तीन महीनों में रिवेन्यू या यूजर ग्रोथ धीमी पड़ती है, तो शेयर 25-35% तक गिर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अभी बाजार में अतिरिक्त उत्साह है — जो जल्द ही ठंडा हो सकता है।