केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी को उसके निर्णय पर आढ़े हाथ लिया है, जिसमें साम पित्रोदा को भारतीय प्रवासी कांग्रेस के चेयरमैन के रूप में पुनः नियुक्त किया गया है। यह निर्णय उस वक्त लिया गया जब पित्रोदा ने अपने विवादास्पद बयानों के चलते इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
पित्रोदा के विवादास्पद बयानों ने लोकसभा चुनावों के दौरान व्यापक विवाद खड़ा किया था। उन्होंने भारतीय नागरिकों के भौतिक स्वरूप के आधार पर जातीय और नस्ली पहचान का वर्णन किया था, जो कि कई लोगों को अनअपेक्षित और आपत्तिजनक लगा। उनके बयानों के बाद कांग्रेस पार्टी को पित्रोदा से दूरी बनानी पड़ी और इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य' करार दिया।
किरन रिजिजू ने इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले से ही ऐसी राजनीति की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने एक पुराने साक्षात्कार का उल्लेख किया जहां पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस नेता जानबूझकर विवादास्पद बयान देते हैं और फिर एक छोटी अवधि के लिए पार्टी से अलग हो जाते हैं। बाद में, उन्हें फिर से मुख्यधारा में वापस लाया जाता है।
रिजिजू ने कहा कि यह कांग्रेस की रणनीति है जिससे वे भ्रम पैदा करते हैं और अपने नेताओं को विवादास्पद बयान देने की अनुमति देते हैं, ताकि वे ध्यान आकर्षित कर सकें और फिर उन्हें पुन: नियुक्त कर सकें। यह एक तरह की राजनीतिक रणनीति है जो कांग्रेस पार्टी द्वारा समय-समय पर अपनाई जाती है।
साम पित्रोदा ने लोकसभा चुनावों के दौरान एक ऐसा बयान दिया था जिसने पूरे देश में हंगामा मचा दिया था। उन्होंने भारतीय नागरिकों के भौतिक स्वरूप को जातीय और नस्ली पहचान के संदर्भ में बाँट कर चित्रित किया था। उनके इस बयान ने न केवल विपक्षी पार्टियों को बल्कि कांग्रेस पार्टी को भी असहज स्थिति में डाल दिया था। विवाद बढ़ने पर कांग्रेस को पित्रोदा से दूरी बनाते हुए उनके बयानों को भर्त्सना करनी पड़ी थी।
साम पित्रोदा को उनकी इस विवादास्पद बयानबाजी के बाद चेयरमैन के पद से हटा दिया गया था, किंतु कुछ समय बाद ही उन्हें पुनः नियुक्त किया गया। इस पुनः नियुक्ति ने कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया जा रहा है कि यह सब विवाद उत्पन्न करने और फिर राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है।
किरन रिजिजू ने कहा कि ऐसी राजनीति से कांग्रेस की असली नीयत का पता चलता है। विवाद पैदा करना और फिर अपने नेताओं को बचाना, यह कांग्रेस की पुरानी रणनीति है।
इस मामले पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने कांग्रेस पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है, जबकि कुछ ने इसे एक सामान्य राजनीतिक गतिविधि माना है। लेकिन यह स्पष्ट है कि साम पित्रोदा की पुनः नियुक्ति ने कांग्रेस की राजनीतिक साख पर सवाल खड़े किए हैं।
आखिरकार, यह विवाद कांग्रेस और भारतीय राजनीतिक प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। जनता को अब यह तय करना है कि वह इस राजनीति में क्या देखती है और किसका समर्थन करती है।
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