24 नवंबर 2025 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भोपालपटनम क्षेत्र में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने सोशल मीडिया को हिला दिया — एक कुत्ता, जमीन पर बिछी दरी पर बैठकर, बच्चों के साथ शिक्षक के सुर में आवाज निकाल रहा था। जैसे कोई छात्र पाठ दोहरा रहा हो, वैसे ही वह अपनी गला फूलकर भौंक रहा था। वीडियो में बच्चे स्पष्ट रूप से पढ़ रहे हैं, और उनके सामने, बिल्कुल शांति से, एक कुत्ता बैठा है। ये न सिर्फ एक अजीबोगरीब घटना है, बल्कि एक ऐसा पल है जो शिक्षा, प्राकृतिक सहानुभूति और आधिकारिक नियमों के बीच एक अनोखा सवाल खड़ा कर रहा है।
वीडियो वायरल हुआ, लेकिन सवाल ये उठा — कुत्ता कौन है?
इस वीडियो को रिपोर्टर धर्मेंद्र सिंह ने रिकॉर्ड किया और नईदुनिया ने प्रकाशित किया। जल्द ही इसे हजारों बार शेयर किया गया। लोग कह रहे हैं — ‘ये कुत्ता तो बच्चों से ज्यादा समझदार है!’ लेकिन वास्तविकता ये है कि इस वीडियो के पीछे कोई अज्ञात व्यक्ति या संस्था हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, यह कुत्ता किसी स्थानीय संस्था का हो सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह का व्यवहार स्कूल परिसर में अनुमति नहीं है। ये बस एक दिल को छू लेने वाला पल नहीं, बल्कि एक सुरक्षा लापरवाही का संकेत भी है।
स्कूल में कुत्तों का अनुमति नहीं — आधिकारिक आदेश
लोक शिक्षण संचालनालय ने इस वीडियो के बाद एक आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके अनुसार, हर स्कूल के प्राचार्य को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा, जिसकी जिम्मेदारी होगी कि स्कूल के आसपास के क्षेत्रों में घूमते आवारा कुत्तों की सूचना ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग कैचर टीम को तुरंत दी जाए। ये नोडल अधिकारी न सिर्फ रिपोर्ट करेंगे, बल्कि स्कूल के बाहरी घेरे में बाड़ लगाने, खाने के अपशिष्ट निकालने और कुत्तों को आकर्षित करने वाली चीजों को हटाने की भी जिम्मेदारी लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश: कुत्तों को स्कूलों से दूर
इस घटना के साथ ही एक और बड़ी बात सामने आई — सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं के बीच एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड, खेल परिसर और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाना अनिवार्य है। आदेश के अनुसार, इन स्थानों पर बाड़ लगाना जरूरी होगा। और सबसे अहम बात — पकड़े गए कुत्तों को उसी जगह छोड़ना नहीं होगा, जहां से उन्हें उठाया गया था। बल्कि उन्हें शेल्टर होम में रखा जाएगा। ये आदेश सिर्फ भय के आधार पर नहीं, बल्कि बच्चों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए दिया गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार की एक्शन प्लान: 7 विभागों को जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा विभाग सहित सात विभागों को एक सप्ताह के अंदर एक विशेष मिशन दिया है। इन विभागों को ये पहचानना है कि राज्य में कौन-कौन से सार्वजनिक स्थान ऐसे हैं, जहां लगातार 12 कुत्तों की आवाजाही होती है। ये जांच सिर्फ बाड़ लगाने तक सीमित नहीं होगी। इसके साथ ही एक डिजिटल मैपिंग सिस्टम भी तैयार किया जाएगा, जिसमें आवारा कुत्तों के आवास, घटनाओं की संख्या और अतीत के घटनाक्रम को रिकॉर्ड किया जाएगा।
क्या ये कुत्ता असल में ‘पढ़ रहा’ था?
कुछ लोग इस वीडियो को भावनात्मक घटना मान रहे हैं — एक कुत्ता, जो बच्चों के साथ बैठकर उनकी आवाज को दोहरा रहा है। वैज्ञानिक रूप से, कुत्ते आवाज की लय को नकल कर सकते हैं। ये उनकी सामाजिक अनुकरण क्षमता है। लेकिन ये असल में ‘पढ़ाई’ नहीं है। ये एक ऐसा अवसर है जो हमें याद दिलाता है कि शिक्षा का अर्थ सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है। जब एक कुत्ता भी बच्चों के साथ बैठ जाता है, तो ये साबित कर देता है कि सीखने की भावना किसी भी जीव में पाई जा सकती है। लेकिन फिर भी, स्कूलों में आवारा जानवरों का होना खतरा है। एक दिन ये कुत्ता शांत रहा, लेकिन कल क्या होगा?
भविष्य क्या है? स्कूलों में बदलाव की जरूरत
इस घटना के बाद अब सवाल ये उठ रहा है — क्या हम बच्चों की सुरक्षा के लिए जानवरों को दूर कर दें, या उन्हें स्कूलों में समाहित करने का एक नया मॉडल बनाएं? कुछ शिक्षाविद बता रहे हैं कि अगर कुत्ते बच्चों के साथ शांति से रहते हैं, तो इससे बच्चों में सहानुभूति और जिम्मेदारी का भाव विकसित हो सकता है। लेकिन अधिकारी इस बात से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि एक अनियंत्रित कुत्ता एक बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है। एक अभिभावक ने कहा — ‘मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा एक कुत्ते के साथ बैठकर पढ़े, लेकिन नहीं, जब वह उसे भौंककर डरा दे।’
FAQ
इस वीडियो में दिखा कुत्ता किस स्कूल का है?
अभी तक किसी भी स्कूल या संस्था द्वारा इस कुत्ते की पहचान की गई है। सूत्रों के मुताबिक, यह भोपालपटनम क्षेत्र के किसी स्थानीय घर या संस्था का हो सकता है, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। लोक शिक्षण संचालनालय ने इस पर जांच शुरू की है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश किन स्थानों पर लागू होता है?
सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड, खेल परिसर और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों पर लागू होता है। इन स्थानों पर बाड़ लगाना अनिवार्य है, और आवारा कुत्तों को उनके मूल स्थान से नहीं, बल्कि शेल्टर होम में रखा जाएगा।
छत्तीसगढ़ सरकार ने कितने विभागों को जिम्मेदारी दी है?
छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा विभाग सहित सात विभागों को जिम्मेदारी दी है। इन्हें एक सप्ताह के अंदर राज्य में ऐसे 12 सार्वजनिक स्थानों की पहचान करनी है, जहां आवारा कुत्तों की बेरोकटोक आवाजाही होती है।
क्या कुत्ते बच्चों के लिए खतरा हैं?
हां, आवारा कुत्ते बच्चों के लिए खतरा हो सकते हैं। देशभर में पिछले तीन साल में 1,872 कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से 68% मामले स्कूलों या उनके आसपास हुए। ये कुत्ते अक्सर भूखे, बीमार या डरे हुए होते हैं, जिससे उनका व्यवहार अप्रत्याशित हो जाता है।
क्या इस वीडियो को शिक्षा का उदाहरण माना जा सकता है?
भावनात्मक रूप से तो हां — ये दृश्य सहानुभूति और सामुदायिक साझेदारी का प्रतीक है। लेकिन शिक्षा के आधिकारिक मानकों के अनुसार, नहीं। शिक्षा विभाग का मानना है कि स्कूल एक सुरक्षित, नियंत्रित वातावरण होना चाहिए, जहां जानवरों का प्रवेश नहीं होना चाहिए।
क्या भविष्य में ऐसे कुत्ते स्कूलों में रखे जा सकते हैं?
कुछ विशेषज्ञ इस विचार को समर्थन दे रहे हैं — जैसे बच्चों के साथ नियंत्रित रूप से रखे गए थेरेपी कुत्ते। लेकिन इसके लिए विशेष प्रशिक्षण, टीम और स्वास्थ्य जांच की आवश्यकता होगी। अभी तक कोई ऐसा कानून या नीति नहीं है।
jay mehta
नवंबर 26, 2025 AT 02:14ये कुत्ता तो बच्चों से ज्यादा अच्छा पढ़ रहा है! असली शिक्षा तो यही है-जब दिल से सीखो, किताबों से नहीं! इस वीडियो ने मुझे रो दिया! जब तक इंसान दिल से नहीं सीखेगा, तब तक स्कूल बस एक जेल होंगे! अब तो कुत्ते भी शिक्षा के मुख्य अध्यापक बन गए हैं! लेकिन सरकार तो बस बाड़ लगाने में माहिर है! बस! बस! बस! इस देश में जिंदगी को जीने का हक नहीं है!