22 वर्षीय सरबजोत सिंह ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में मिक्सड 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीतकर भारत के लिए गर्व का पल प्रदान किया है। चंडीगढ़ से ताल्लुक रखने वाले सरबजोत ने अपनी साथी निशानेबाज मनु भाकर के साथ मिलकर चीनी टीम को 17-11 के स्कोर से हराया और यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। यह पदक भारत के लिए इस इवेंट में पहला ओलंपिक पदक है, जिससे देश भर में खुशी का माहौल बन गया है।
सरबजोत सिंह का जन्म चंडीगढ़ में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके जीवन का सफर हमेशा से प्रेरणादायक रहा है। सरबजोत को निशानेबाजी में रुचि 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों को देखने के बाद हुई। उन्होंने 12 साल की उम्र में ही शूटिंग शुरू कर दी और कोच रोणक पंडित के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
सरबजोत ने लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार किया और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में पदक जीते। 2022 में आईएसएसएफ जूनियर विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
पेरिस ओलंपिक्स 2024 का सफर सरबजोत सिंह और मनु भाकर के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। वे दोनों पूरी मेहनत और तैयारी के साथ इस प्रतियोगिता में शामिल हुए। मिक्सड 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में तजुर्बेकार चीनी टीम के खिलाफ उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दी और उनकी यह मेहनत आखिरकार रंग लाई।
इस मुकाबले में चीनी निशानेबाज लियु जिन्याओ और हे झेन्गयांग के खिलाफ मुकाबला करना आसान नहीं था। लेकिन सरबजोत और मनु ने संयम और कौशल से खेला और अंततः 17-11 के स्कोर से जीत हासिल की।
सरबजोत सिंह की इस सफलता ने न केवल उनके करियर को ऊँचाई पर पहुँचाया है, बल्कि भारतीय निशानेबाजी को भी नई उम्मीदें दी हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि सही दिशानिर्देश और कठोर अभ्यास से कोई भी ऊँचाइयों को छू सकता है। उनके इस पदक जीत ने कई युवा निशानेबाजों को प्रेरित किया है और उनके प्रदर्शन से यह स्पष्ट है कि वे भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।
सरबजोत सिंह की कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष और मेहनत से कभी हार नहीं माननी चाहिए। उनके इस ऐतिहासिक पदक ने भारत की निशानेबाजी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।
सरबजोत सिंह और मनु भाकर के इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें पूरे देश से बधाइयाँ मिली हैं। प्रधानमंत्री, खेल मंत्री और विभिन्न खेल संगठनों ने उन्हें उनकी इस उपलब्धि के लिए सराहा है और उनकी मेहनत और समर्पण की प्रशंसा की है।
उनके इस पदक जीत ने पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ा दी है और भविष्य में भारतीय निशानेबाजों को और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
एक टिप्पणी लिखें