Sensex Weekly Expiry पर बाजार का उत्साह, Sensex में 350 अंक की उछाल

बाजार का समग्र प्रदर्शन

15 जुलाई की ट्रेडिंग सत्र में भारतीय इक्विटी मार्केट ने चार‑दिन की गिरावट को उलटते हुए तेज़ी पकड़ ली। Sensex लगभग 350 अंक बढ़ा और 82,000 के आसपास समाप्त हुआ, जबकि Nifty 25,200 के महत्वपूर्ण स्तर के ऊपर 25,195.80 पर बंद हुआ। पिछले दिन Nifty ने 25,001.95 का न्यूनतम पर पहुँचा था, पर अंत में खरीदारों ने उसे 25,000 के समर्थन स्तर से ऊपर धकेल दिया। इस ताकतवर रिवर्सल को कई कारणों से जोड़ा जा रहा है – साप्ताहिक समाप्ति का असर, कम वोलैटिलिटी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों की राहत भरी गपशप।

Nifty के जुलाई 2025 फ़्यूचर ने 25,283.00 पर क्लोज़ किया, जो स्पॉट पर 87.2 अंक का प्रीमियम दर्शाता है। प्रीमियम का मतलब है कि ट्रेडर अभी भी बाजार को आगे बढ़ते देख रहे हैं, खासकर 31 जुलाई की मासिक समाप्ति से पहले। साथ ही NSE का India VIX 11.48 तक गिर गया, यानी 4.17% की गिरावट, जो निवेशकों में डर कम होने का संकेत है। कम VIX अक्सर कम हेजिंग लागत और आसान ट्रेडिंग माहौल बनाता है।

सेक्टर व डेरिवेटिव्स में प्रमुख रुझान

सेक्टर व डेरिवेटिव्स में प्रमुख रुझान

सत्र में सेक्टरल कार्बन ने भी मिश्रित प्रदर्शन दिखाया। BSE के मिड‑कैप और छोटे‑कैप इंडेक्स दोनों ने लगभग 0.5% की बढ़ोतरी की, जिससे साफ़ दिखा कि बड़ी कंपनियों के साथ साथ छोटे‑साइज़ के शेयर भी खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं। टेक सेक्टर में IT इंडेक्स में 1% की गिरावट आई, जबकि फ़ार्मास्यूटिकल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मीडिया, रियल एस्टेट और PSU बैंकों ने 0.5‑1% के बीच लाभ उठाया। यह संकेत देता है कि निवेशक सुरक्षा और कंज्यूमर‑डेमांड वाले क्षेत्रों में अभी भी भरोसा रख रहे हैं।

फ़्यूचर्स‑ऑप्शन (F&O) बाज़ार में HCL Technologies, State Bank of India (SBI) और Infosys के स्टॉक फ़्यूचर सबसे अधिक ट्रैडेड रहे। ये तीनों ब्लू‑चिप कंपनियां लगातार हाई वॉल्यूम की वजह से ट्रेंड सेट करती रहती हैं। उनका लिक्विडिटी स्तर अच्छा है, इसलिए छोटे एवं बड़े दोनों ट्रेडर इनके माध्यम से पोज़िशन एंट्री‑एग्ज़िट करते हैं।

साप्ताहिक समाप्ति सत्र का महत्व इसलिए भी बढ़ा क्योंकि यह नई नियामक बदलावों के अगले कदम के रूप में देखा गया। SEBI ने घोषणा की है कि 1 सितंबर 2025 से NSE की इक्विटी डेरिवेटिव्स समाप्ति मंगलवार को, और BSE पर गुरुवार को होगी। इस बदलाव का उद्देश्य दोनों बोरसों के बीच ट्रेडिंग साइकिल को सिंक्रनाइज़ करना और बाजार की पारदर्शिता बढ़ाना है। इस परिप्रेक्ष्य में इस हफ़्ते की समाप्ति को एक सिग्नल माना जा रहा है कि ट्रेंड सकारात्मक है और निवेशकों को आगे भी इस मोमेंटम का फायदा उठाने का प्लान बना रहे हैं।

सत्र में दिखे हुए व्यापक भागीदारी, कम वोलैटिलिटी और प्रमुख इंडेक्स की मजबूती इस बात का इशारा देती है कि बाजार संभावित रिवर्सल के लिए तैयार है। फिर भी वैश्विक संकेतकों – विशेषकर यूएस फेड की दर नीति और यूरोपीय अर्थव्यवस्था की स्थिति – को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। इन बाहरी कारकों की धैर्य से निगरानी कर रहे ट्रेडर अगले सत्र में संभावित उतार‑चढ़ाव को संभालने की तैयारी में हैं।

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