आरबीआई – भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका और प्रभाव

जब हम आरबीआई, भारत का केंद्रीय बैंक, जो मौद्रिक नीति, विनियम और भुगतान प्रणाली संभालता है, भारतीय रिज़र्व बैंक की बात करते हैं, तो साथ में मौद्रिक नीति, रिपो दर, रेपो दर और नकद भंडारण पर नियंत्रण, बैंकिंग नियमन, बैंकों की पूंजी पर्याप्तता और जोखिम प्रबंधन के नियम और वित्तीय समावेशन, बैंकों की पहुंच को बढ़ाने के लिए योजनाएं भी जुड़ी होती हैं। ये चारों इकाइयाँ आपस में जकड़ती हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता बनी रहती है।

आरबीआई का सबसे बड़ा काम मौद्रिक नीति बनाना है। यह नीति तय करती है कि रेपो दर कितनी होगी, जिससे बैंकों के उधार लेने की लागत तय होती है। जब रेपो दर घटती है, तो बैंकों के लिये कर्ज सस्ता हो जाता है, और निवेश तथा उपभोक्ता खर्च बढ़ता है। इसके उलट, जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो दर बढ़ाकर पैसे के प्रवाह को धीमा करता है। यही कारण है कि आप अक्सर समाचार में ब्याज दरों में बदलाव देखते हैं – चाहे वह होम लोन की दर हो या बचत खाता का ब्याज।

आरबीआई के मुख्य कार्य

पहला कार्य: बैंकिंग प्रणाली की निगरानी – सभी राष्ट्रीय व विदेशी बैंकों को आरबीआई के लाइसेंस का पालन करना पड़ता है। दूसरा कार्य: भुगतान एवं निपटान प्रणाली को सुरक्षित बनाना। डिजिटल इंडिया के दौर में, RBI ने यूपीआई, मोबाइल वॉलेट और नकद‑रहित लेन‑देन को बढ़ावा दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को तेज़ और सुरक्षित भुगतान विकल्प मिलते हैं। तीसरा कार्य: विदेशी विनिमय प्रबंधन – विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करके रुपये की स्थिरता बनाए रखता है। चौथा कार्य: वित्तीय समावेशन – किसान, छोटे व्यापारियों और ग्रामीण इलाकों को बैंकिंग सेवाएं देने के लिए निर्णय लेता है, जैसे कि प्रीपेड भुगतान देखभाल (PMJDY)। ये सभी कार्य आपस में जुड़े हुए हैं; एक में बदलाव दूसरे को भी प्रभावित करता है।

आरबीआई की नीतियों का असर सिर्फ बैंकिंग तक सीमित नहीं रहता। उदाहरण के तौर पर, जब RBI ने सोने की कीमत पर टैक्स नियम बदलते हुए कहा कि आयकर लागू नहीं होगा, तो सोने की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं – यही कारण है कि कई समाचारों में सोने की कीमतों में उछाल दिखता है। इसी तरह, रीटेल बाजार, शेयर बाजार (Sensex, Nifty) और विदेशी निवेशकों की रुचि भी RBI की मौद्रिक नीतियों से प्रभावित होती है। इस कारण से आर्थिक समाचार पढ़ते समय आरबीआई के बयान को पहचानना जरूरी है।

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में RBI की मौजूदगी इस तरह महसूस होती है: जब आप मोबाइल ऐप से पैसे ट्रांसफर करते हैं, तो वह प्रणाली RBI के द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों पर चलती है। जब आप घर का लोन ले रहे होते हैं, तो ब्याज दर तय करने में RBI का हाथ होता है। और जब सरकार नए वित्तीय प्रपत्र जारी करती है, तो RBI की मंजूरी के बाद ही वह प्रचलन में आता है। इसलिए, चाहे आप छात्र हों, नौकरीपेशा, या व्यापारी, RBI की नीतियों की समझ आपके फैसलों को सही दिशा देती है।

अब आप इस पेज पर नीचे जुड़ी लेखों की सूची देखेंगे। यहाँ आरबीआई से जुड़ी मौद्रिक नीति अपडेट, ब्याज दर की खबरें, डिजिटल भुगतान के विकास, और वित्तीय नियमन से संबंधित विश्लेषण मिलेंगे। इन लेखों को पढ़कर आप अपने पैसे को बेहतर ढंग से संभाल सकेंगे और बाजार की मौजूदा स्थिति का सही अंदाज़ा लगा सकेंगे। चलिए, आगे के लेखों में गहराई से देखते हैं कि RBI की कार्रवाइयां रोज़मर्रा की आर्थिक खबरों में कैसे परिलक्षित होती हैं।

आरबीआई मौद्रिक नीति बैठक: 6.5% पर रेपो दर को स्थिर रखा

आरबीआई मौद्रिक नीति बैठक: 6.5% पर रेपो दर को स्थिर रखा

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 अगस्त, 2024 को हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में यह घोषणा की, जिसमें वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2% बताई। महंगाई को देखते हुए आरबीआई ने यह निर्णय लिया, विशेषकर खाद्य क्षेत्र में हो रही महंगाई के कारण।