जब हम बाजार तरलता, उस क्षमता को कहते हैं जिससे वित्तीय उपकरण जल्दी और कम कीमत पर निकले बिना कीमत में बड़े उतार‑चढ़ाव के की बात करते हैं, तो ये शब्द थोडा भारी लग सकता है। लेकिन असल में इसका मतलब बस इतना ही है कि आपका पैसा या शेयर कितनी जल्दी बेच सकता है। शेयर बाजार, एक जगह जहाँ कंपनियों के हिस्से खरीदे‑बेचे जाते हैं और तरलता का स्तर सीधे ट्रेडिंग वॉल्यूम से जुड़ा होता है इसका प्रमुख उदाहरण है। जब तरलता घटती है, तो ट्रेडिंग कम होती है, इस कारण कीमतें तेज़ी से बदल सकती हैं। इसी तरह, डिमर्जर, किसी बड़ी कंपनी को दो या अधिक भागों में बाँटना, जिससे उन नई कंपनियों की लिक्विडिटी अलग‑अलग तय करनी पड़ती है भी तरलता को प्रभावित करती है—जैसे टाटा मोटर्स डिमर्जर के बाद दो नई कंपनियों के शेयर में निवेशक अलग-अलग जोखिम देखते हैं। दूसरी ओर, सोना, एक सुरक्षित संपत्ति जो आर्थिक अस्थिरता में अक्सर मूल्य बढ़ाता है की कीमत भी तरलता के स्विंग से जुड़ी रहती है; जब बाजार में नकदी कम होती है, तो निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं। इसलिए बाजार तरलता को समझना सिर्फ ट्रेडिंग नहीं, बल्कि आपके पूरे पोर्टफोलियो की सुरक्षा और रिटर्न दोनों के लिए जरूरी है।
पहला बिंदु—कीमत स्थिरता। जब तरलता अधिक होती है, तो खरीदार‑बेच्चे के बीच उचित मूल्य बनता है, इसलिए बड़े उतार‑चढ़ाव कम होते हैं। दूसरा बिंदु—बाजार प्रवेश की आसानी। नई कंपनियों या स्टार्ट‑अप्स के शेयर, चाहे वह शेयर बाजार हो या डिमर्जर से बनने वाली नई कंपनियां, तभी निवेशकों को आकर्षित कर पाएँगे जब उन शेयरों को जल्दी बेचा‑बेचा जा सके। तीसरा बिंदु—जोखिम प्रबंधन। कम तरलता वाले सेक्टर, जैसे कुछ छोटे‑कैप स्टॉक्स या अनरिलेटेड कमोडिटीज़, में निवेश करने से पहले आपको यह देखना चाहिए कि अगर कीमत नीचे गिर जाए तो क्या आप जल्दी बाहर निकल पाएँगे। इन बिंदुओं को जोड़ते हुए हम एक और सिमेंटिक ट्रिपल बना सकते हैं: "बाजार तरलता निवेशकों की निर्णय‑लेने की गति को तेज करती है", "डिमर्जर नई निवेश अवसर बनाता है लेकिन तरलता की जाँच जरूरी है", और "सोना आर्थिक अनिश्चितता में तरलता के गिरने का विकल्प बनता है"। अब आप तैयार हैं—नीचे आने वाले लेखों में हम देखेंगे कि कैसे टाटा मोटर्स डिमर्जर, सोने की कीमतों की हलचल, और शेयर बाजार के बड़े‑छोटे बदलाव आपके पैसे को प्रभावित करते हैं। पढ़ते रहें, क्योंकि आपका अगला निवेश कदम शायद यहाँ से तय होगा।
Adani Power ने पहली बार 1:5 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट लागू किया, जिससे ₹10 के शेयर पाँच ₹2 के शेयर बनेंगे। 22 सितंबर को शेयरों की कीमत 20% तक उछली और 52‑हफ्ते के उच्चतम स्तर पर पहुंची। यह कदम SEBI की साफ‑सुथरी क्लियरेंस के साथ आया, जिससे समूह की शेयरों में एक साथ तेज़ी देखी गई। रिटेल निवेशकों के लिए शेयरों की कीमत घटने से खरीदना आसान हो गया।