महंगाई वस्तु और सेवाओं की कीमतों में निरन्तर बढ़ोतरी. मुद्रास्फीति के नाम से भी जाना जाता है, यह आर्थिक माहौल को कई स्तरों पर बदल देता है। रोज़गार, निवेश और आम लोग की ख़रीद शक्ति पर इसका सीधा असर पड़ता है, इसलिए हर खबर में इसका जिक्र मिलना आम बात है।
जब हम महंगाई की बात करते हैं तो पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) कीमतों के औसत स्तर को मापने वाला मुख्य संकेतक आता है। CPI बढ़ने का मतलब है कि कपड़े, भोजन या ईंधन जैसी ज़रूरी चीज़ों की कीमतें ऊपर जा रही हैं। इसी क्रम में सोना परम्परागत निवेश साधन, महंगाई के दौर में इसकी कीमत अक्सर बढ़ती है भी ध्यान देने योग्य बन जाता है। हाल ही में IBJA की रिपोर्ट बताती है कि 10 ग्राम 24‑कैरेट सोना ₹133,749 तक पहुंच गया, जो महंगाई के डर से निवेशकों की पसंद को दर्शाता है। साथ ही शेयर बाजार स्टॉक्स की कीमतों के माध्यम से आर्थिक माहौल को प्रतिबिंबित करता है भी महंगाई की लहर को दिखाता है; टाटा मोटर्स की डिमर्जर के बाद शेयर 40 % गिरना या टाटा कैपिटल के आईपीओ पर बिडिंग में उछाल, दोनों ही संकेत देते हैं कि निवेशक महंगाई के जोखिम को कैसे आंकते हैं।
इन मुख्य संकेतकों के अलावा कई अन्य कारक महंगाई को तेज या धीमा कर सकते हैं। मौद्रिक नीति, जैसे RBI की ब्याज दरें, सीधे उपभोक्ता खर्च और बचत को प्रभावित करती हैं। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो रुपए की कीमत स्थिर रहने की संभावना बढ़ती है, जिससे आयातित सामान की लागत घट सकती है। दूसरी ओर, रोजगार पर असर डालने वाली खबरें जैसे RRB NTPC भर्ती या UPSSSC वन रक्षक परीक्षा, लोगों की आय में बदलाव लाते हैं और इस तरह खर्च करने की शक्ति को बदलते हैं। इसलिए महंगाई को समझने के लिए हमें सिर्फ कीमतों ही नहीं, बल्कि वेतन, नौकरी के अवसर और नीति बदलावों को भी देखना पड़ता है।
आज के आर्थिक परिदृश्य में तीन प्रमुख बिंदु हैं जो महंगाई को दिशा देते हैं। पहला, वस्तु कीमतों की तेज़ी—सोना, तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतें लगातार ऊपर जा रही हैं, जिससे दैनिक खर्च बढ़ रहा है। दूसरा, रोजगार की स्थिरता—नए रोजगार के अवसरों की घोषणा, जैसे रेल भर्ती या पुलिस परीक्षा, आय में सुधार का संकेत देती है, लेकिन अस्थायी नौकरी की कमी भी महंगाई को बढ़ा सकती है। तीसरा, वित्तीय बाजार की प्रतिक्रिया—शेयरों की गिरावट या बिडिंग में उछाल यह बताता है कि निवेशक भविष्य में महंगाई को कैसे देख रहे हैं। इन तीनों को मिलाकर देखते हुए, नीचे आपको महंगाई से जुड़ी ताज़ा खबरों और विश्लेषणों की सूची मिलेगी, जो आपके रोज़मर्रा के निर्णयों में मदद कर सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 अगस्त, 2024 को हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में यह घोषणा की, जिसमें वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2% बताई। महंगाई को देखते हुए आरबीआई ने यह निर्णय लिया, विशेषकर खाद्य क्षेत्र में हो रही महंगाई के कारण।