मौद्रिक नीति का सही अर्थ समझना हर भारतीय के लिए जरूरी है। जब बात मौद्रिक नीति, सेंट्रल बैंक द्वारा अर्थव्यवस्था में धन की मात्रा, ब्याज दरें और क्रेडिट तक पहुंच को नियंत्रित करने की रणनीति, Monetary Policy की होती है, तो स्पष्ट हो जाता है कि यह सिर्फ एक तकनीकी शब्द नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की कीमतों, रोजगार और बचत तक असर करता है। मौद्रिक नीति नियंत्रित करती है ब्याज दरों को, जिससे महंगाई पर दबाव बनता या कम होता है; यही कारण है कि नीति बदलाव अक्सर बाजार में उतार‑चढ़ाव लाते हैं। इस टैग पेज पर आप देखेंगे कि कैसे RBI के निर्णय, जैसे रेपो दर में परिवर्तन, सीधे शेयर, सोना और बॉण्ड की कीमतों को प्रभावित करते हैं।
भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक, देश का सेंट्रल बैंक जो मौद्रिक नीति को लागू करता है, RBI इस नीति का हृदय है। RBI के पास रेपो दर, वित्तीय संस्थानों को रिज़र्व बैंक से अंततः उधार लेने की लागत और रिवर्स रेपो दर, बैंक द्वारा रिज़र्व बैंक को जमा पर मिलने वाला ब्याज जैसे उपकरण होते हैं। जब RBI रेपो दर घटाता है, तो बैंकों की उधार लागत कम होती है, इससे कंपनियों को पूँजी मिलती है और बिक्री बढ़ती है—पर इसका उल्टा असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। यही कारण है कि नीति निर्माताओं को महंगाई लक्ष्य (आमतौर पर 4–6 %) के साथ तालमेल रखना पड़ता है।
महंगाई, अर्थात महंगाई, वस्तुओं और सेवाओं की सामान्य मूल्य वृद्धि, मौद्रिक नीति की सफलता या विफलता को मापता है। जब कीमतें तेज़ी से बढ़ती हैं, RBI रेपो दर को बढ़ा कर खर्च को दबा देती है; यह प्रभावित करती है उपभोक्ता मांग को और अंततः मूल्य स्थिरता लाती है। दूसरा महत्वपूर्ण तत्व है ओपन मार्केट ऑपरेशन—RBI सरकारी बांड खरीद‑बिक्री करके बाजार में धन की मात्रा को घटाता या बढ़ाता है। इन सभी उपकरणों का संतुलन ही मौद्रिक नीति को प्रभावी बनाता है और निवेशकों को दिशानिर्देश देता है।
आज की आर्थिक सुर्खियों में आप देखेंगे कि कैसे RBI ने हाल ही में रेपो दर को 6.5 % से 6.25 % तक घटाया, जिससे शेयर बाजार में तेज़ी आई और सोने की कीमत में थोड़ी राहत मिली। साथ ही, कई कंपनियों की IPO और डिमर्जर खबरें भी इस नीति बदलाव से प्रभावित हुई हैं—जैसे टाटा मोटर्स डिमर्जर, टाटा कैपिटल आईपीओ आदि। नीचे दी गई लिस्ट में आप इन सभी घटनाओं के साथ‑साथ मौद्रिक नीति से जुड़े प्रमुख विश्लेषण, विशेषज्ञ राय और बाजार पर प्रभाव के विवरण पाएँगे। तैयार हो जाइए, क्योंकि अब आप न सिर्फ खबरें पढ़ेंगे, बल्कि समझेंगे कि एक छोटा‑सा ब्याज दर परिवर्तन आपके बिचौलिया बैंक खाता से लेकर आपके निवेश पोर्टफ़ोलियो तक कैसे असर करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 अगस्त, 2024 को हुई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बॉम्बे चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में यह घोषणा की, जिसमें वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2% बताई। महंगाई को देखते हुए आरबीआई ने यह निर्णय लिया, विशेषकर खाद्य क्षेत्र में हो रही महंगाई के कारण।