विश्व भर में अनिवार्य सैन्य सेवा: 2024 का विस्तृत विश्लेषण

जब बेंजामिन नेतन्याहू ने 2024 में उग्र ऑर्थोडॉक्स समुदाय को भी कंस्रिप्शन में शामिल करने का प्रस्ताव रखा, तो यह बात सिर्फ इज़राइल की नहीं रही – यह पूरे विश्व में अनिवार्य सैन्य सेवा के भविष्य को नई दिशा दे रही थी। इस बदलाव की घोषणा इज़राइल में कंस्रिप्शन विधेयक 2024इज़राइल के संसद में हुई, और इस पर चर्चा तुरंत अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छा गई। आज की रिपोर्ट में हम देखते हैं कि 2024 तक लगभग 80 देशों में कुछ न कुछ रूप में अनिवार्य सैन्य या राष्ट्रीय सेवा लागू है, पर इसका पालन कैसे और क्यों बदल रहा है।

पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ

दूसरी विश्व युद्ध के बाद कई देशों ने "सभी नागरिकों की रक्षा" के नारे पर सार्वभौमिक कंस्रिप्शन अपनाया। फिर 1950‑औँ दशक में कई पश्चिमी लोकतंत्रों ने इसे धीरे‑धीरे समाप्त किया – ब्रिटेन ने 1957 में, फ्रांस 1996 में और संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1973 में ‘ऑल‑वलंटरी’ नीतियों की ओर कदम बढ़ाया। लेकिन कुछ देशों में, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ सुरक्षा स्थिति अस्थिर है, कंस्रिप्शन अभी भी मौलिक नीति बनी हुई है।

विश्व स्तर पर वर्तमान परिदृश्य

विश्व जनसंख्या समीक्षकों (World Population Review), CIA विश्व तथ्य पुस्तक और Statista के नवीनतम आँकड़े मिलकर यह बताते हैं कि 2024 में लगभग 80 देशों में अनिवार्य सैन्य सेवा का कोई न कोई रूप मौजूद है। इन देशों को दो प्रमुख वर्गों में बाँटा जा सकता है:

  • सार्वभौमिक कंस्रिप्शन: जहाँ पूरी आयु‑समूह को सेवा करनी पड़ती है (जैसे इज़राइल, उत्तर कोरिया, इराण)।
  • चयनात्मक कंस्रिप्शन: जहाँ केवल योग्य या चयनित नागरिकों को बुलाया जाता है (जैसे रूस, दक्षिण कोरिया, तुर्की)।

सार्वभौमिक प्रणाली वाले देशों की सूची में इज़राइल, उत्तर कोरिया, क्यूबा, और इरिट्रिया प्रमुख हैं, जबकि चयनात्मक प्रणाली वाले देशों में रूस, भारत, ब्राज़ील, और चीन (हालाँकि चीन में कंस्रिप्शन कानूनी रूप से है, पर व्यावहारिक रूप से लागू नहीं) शामिल हैं।

देश‑वार प्रमुख विवरण

इज़राइल – सबसे कड़ा और विस्तृत मॉडल

इज़राइल में पुरुषों को 32 महीने, महिलाओं को 24 महीने की सेवा करनी होती है। 2024 में प्रस्तुत विधेयक के अनुसार अब उग्र‑ऑर्थोडॉक्स यहावादी युवाओं को भी सेवा में शामिल किया जाएगा, जबकि पूर्व में यह वर्ग धार्मिक अध्ययन के कारण छूटा हुआ था। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के बीच संतुलन बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

चीन – कानूनी कंस्रिप्शन, व्यावहारिक अनुप्रयोग में अंतर

चीनी संविधान में सभी 18‑22 वर्ष के पुरुषों को दो साल की सैन्य सेवा अनिवार्य है, पर वास्तविक रूप से यह नीति केवल चुनिंदा मामलों में लागू होती है। 2023 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पुनःस्थापित कंस्रिप्शन कानून में संशोधन किया, जिससे पूर्व‑सेवा कर्मियों को पुनः भर्ती करने और साइबर‑वॉर तथा अंतरिक्ष अभियानों के लिए विशेषज्ञता वाली भर्ती को बढ़ावा देने का प्रावधान हुआ।

ताइवान – तेज़ी से बदलती रणनीति

चीन‑ताइवान तनाव के बीच, ताइवान ने 2024 में अनिवार्य सेवा की अवधि को एक वर्ष तक बढ़ाने की योजना घोषित की। इससे पहले सेवा अवधि केवल 4 महीने थी। इस परिवर्तन से देश के रक्षा दल की तैनाती क्षमता में सुधार की आशा है।

रूस – दो‑साल की लम्बी सेवा

रूस में 20‑45 वर्ष के पुरुषों को 24 महीने की सेवा करनी पड़ती है, जो यूरोप में सबसे लंबी अवधि में से एक है। हालिया यूक्रेन संघर्ष के कारण रूस ने नियमित सैनिकों की संख्या को बढ़ाने के लिए कंस्रिप्शन को कड़ी निगरानी में रखा है।

एस्टोनिया और लिथुआनिया – यूरोपीय छोटे‑देशों का मॉडल

एस्टोनिया में 18‑27 वर्ष के युवा 8‑11 महीने की सेवा पर होते हैं, और हर पाँच साल में रेज़र्व प्रशिक्षण अनिवार्य है। लिथुआनिया ने 2015 में पुनः कंस्रिप्शन लागू किया, जहाँ पुरुष 18‑26 वर्ष के 9 महीने की सेवा देते हैं, जबकि महिलाएँ 18‑38 वर्ष तक स्वयंसेवक बन सकती हैं।

ऐतिहासिक व आर्थिक प्रभाव

कंस्रिप्शन का बजट पर प्रभाव अक्सर गुमनाम रहता है, पर कुछ देशों ने इसे स्पष्ट तौर पर बताया है। उदाहरण के तौर पर, 2021 में मोरक्को ने $5.4 बिलियन (GDP का 4.2 %) और माली ने $558.4 मिलियन (GDP का 2.8 %) सैन्य खर्च किया, जबकि दोनों देशों में नागरिक भी 12‑24 महीने की सेवा के लिए बुलाए जाते हैं। इस प्रकार, सैन्य खर्च और सामाजिक‑आर्थिक विकास के बीच घनिष्ठ संबंध बना रहता है।

विवाद, सामाजिक प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ

विवाद, सामाजिक प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ

कंस्रिप्शन अक्सर सामाजिक तनाव का कारण बनता है। इज़राइल में अल्पसंख्यकों और धार्मिक महिलाओं के लिए छूटें लगातार आलोचना का बिंदु रही हैं। भारत में, ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए वैकल्पिक नागरिक सेवा का प्रस्ताव सरकार ने किया है, पर उसका कार्यान्वयन अभी बाकी है। उन देशों में जहाँ कंस्रिप्शन केवल चुनिंदा वर्गों पर लागू है (जैसे स्वीडन, जहाँ महिलाओं को चयनात्मक रूप से बुलाया जाता है), सार्वजनिक राय अक्सर अनुचित असमानता के रूप में देखती है।

भविष्य की संभावनाएँ और निकट‑वर्ती विकास

अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी प्रगति, जैसे ड्रोन, साइबर सुरक्षा, और अंतरिक्ष युद्ध, अनिवार्य सैन्य सेवा के ढाँचे को बदल रहे हैं। देशों का दृष्टिकोण अब "भौतिक बल" से "डिजिटल और विशेषज्ञ शक्ति" की ओर शिफ्ट हो रहा है। चीन की नई भर्ती नीति, ताइवान की सेवा अवधि वृद्धि, तथा इज़राइल की सामाजिक‑राजनीतिक छूटों में बदलाव इस परिवर्तन के स्पष्ट संकेत हैं। अगले पाँच साल में, अनुमान है कि लगभग 15‑20 % देशों में कंस्रिप्शन की अवधि या स्वरूप में पुनः‑समीक्षा होगी।

निष्कर्ष: क्यों यह मुद्दा महत्वपूर्ण है?

सैन्य सेवा केवल लड़ाकू प्रशिक्षण नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पहचान, नागरिक जिम्मेदारी और आर्थिक संसाधनों के पुनर्वितरण का मिलाजुला रूप है। जब विश्व की प्रमुख शक्तियों में से एक अपने कंस्रिप्शन मॉडल को बदलती रहती है, तो यह अन्य देशों के नीति‑निर्माताओं के लिए एक चेतावनी या प्रेरणा बन सकता है। इस दायरे में, हमारे युवाओं की भविष्य की भूमिका, सामाजिक समानता, और राष्ट्रीय सुरक्षा की पारस्परिकता लगातार पुनर्मूल्यांकन के अधीन रहेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इज़राइल में कंस्रिप्शन कानून 2024 किस समूह को प्रभावित करेगा?

यह नया विधेयक उग्र‑ऑर्थोडॉक्स यहावादी युवाओं को भी सेवा में शामिल करेगा, जो पहले धार्मिक कारणों से छूटे थे। महिलाओं, इस्राइली अरबों और विवाहित महिलाओं को अभी भी कुछ छूटें मिलती रहेंगी।

चीन में कानूनी कंस्रिप्शन क्यों नहीं लागू होता?

चीन की सैन्य नीति परिधान‑आधारित भर्ती पर अधिक निर्भर है; इसलिए अधिकांश 18‑22 वर्ष के पुरुषों को वैकल्पिक रोजगार या तकनीकी शिक्षा की ओर मोड़ा जाता है। 2023 के संशोधन ने विशेष रूप से साइबर और अंतरिक्ष विशेषज्ञता को प्राथमिकता दी है।

कंस्रिप्शन के आर्थिक खर्च पर कौन‑से आँकड़े उपलब्ध हैं?

2021 में मोरक्को ने $5.4 बिलियन (GDP के 4.2 %) और माली ने $558.4 मिलियन (GDP के 2.8 %) सैन्य खर्च किया। दोनों देशों में समान अवधि की अनिवार्य सेवा के कारण ये खर्च काफी हद तक औद्योगिक विकास से जुड़े हैं।

भविष्य में कौन‑से देशों में कंस्रिप्शन में बदलाव की सम्भावना है?

विशेषज्ञों के अनुसार, नेपाल, पनामा, और सर्बिया जैसे मध्यम आय वाले देश अगले पाँच वर्षों में अपनी सेवा अवधि को कम करने या वैकल्पिक नागरिक सेवा को बढ़ाने की संभावना रखते हैं, क्योंकि तकनीकी उन्नति और बजट सीमाएँ इस दिशा में प्रेरित कर रही हैं।

सार्वभौमिक और चयनात्मक कंस्रिप्शन में मुख्य अंतर क्या है?

सार्वभौमिक कंस्रिप्शन में सभी योग्य आयु‑समूह को सेवा करनी पड़ती है (जैसे इज़राइल), जबकि चयनात्मक में केवल सरकार द्वारा चयनित या आवश्यकतानुसार कुछ ही लोगों को बुलाया जाता है (जैसे रूसी सेना)। इस अंतर से सामाजिक समानता और आर्थिक बोझ पर अलग‑अलग प्रभाव पड़ते हैं।

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