अनंत अंबानी ने 170 किमी पद्यात्रा पूरी, 30वें जन्मदिन पर

जब अनंत अंबानी, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के डायरेक्टर, ने 30‑वें जन्मदिन के साथ अपने आध्यात्मिक सफर का अंत किया, तो पूरी गुजरात में जश्न की लहर दहरी। 6 अप्रैल 2025 को द्वारकाधीश मंदिर के मुख्य द्वार पर फूलों की बरसात हुई, जबकि उनका पति‑पत्नी राधिका मर्चेंट और माताओ नीता अंबानी साथ में पहुँचे। इस 170 किलोमीटर की पद्यात्रा ने न केवल आध्यात्मिक संदेश दिया, बल्कि भारत के कमर्शियल दिग्गज के परिवार की सार्वजनिक भूमिका को भी नया आयाम दिया।

पद्यात्रा का पृष्ठभूमि और महत्व

अनंत अंबानी ने आध्यात्मिक यात्रा को लेकर कई सालों से तैयारी की थी। उनका मानना है कि भक्ति और शारीरिक परिश्रम एक‑दूसरे को पूरक होते हैं, इसलिए उन्होंने 29 मार्च 2025 को जमनगर के शुरुआती बिंदु से प्रातः 3:45 बजे पवित्र मुहूर्त में कदम रखे। यह वही शहर है जहाँ रिलायंस का विश्व‑सबसे बड़ा रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स स्थित है, जिससे आर्थिक महत्व भी जुड़ा हुआ है।

पद्यात्रा की दूरी 170 किमी, औसत रोज़ 20 किमी, नौ दिन में पूरी हुई। इस तरह की पैदल यात्रा भारतीय परंपरा में ‘पदयात्रा’ के नाम से जानी जाती है, जो अक्सर धार्मिक स्थलों तक पहुँचने के लिए की जाती है। अनंत ने इसे अपने हालिया स्वास्थ्य सुधार का श्रेय ‘श्रीनाथजी’ के दर्शन को दिया, जो राजस्थान के नाथद्वारा में स्थापित है।

अनंत अंबानी ने शुरू की 170 किमी यात्रा

पहले दिन उन्होंने स्थानीय गाँवों के लोगों को अभिवादन किया, कई लोगों ने उनके माथे पर मुकेश अंबानी (रिलायंस के चेयरमैन) की सिद्धि को याद करते हुए तिलक लगाया। दो‑तीन घंटे के भीतर ही उन्होंने उल्लेख किया कि वह इस यात्रा को अपने बेटे की तरह नहीं, बल्कि स्वयं की आध्यात्मिक खोज के रूप में देख रहे हैं।

पद्यात्रा के पाँचवें दिन एक अनोखी घटना घटी: एक वाहन पर ले जा रहे धार्मिक मूर्तियों को नुकसान पहुँच रहा था, लेकिन अनंत ने तुरंत हस्तक्षेप कर उस वाहन को रोक दिया और मूर्तियों को सुरक्षित स्थान पर ले गया। इस कदम ने उन्हें स्थानीय जनता के बीच एक नायक बना दिया।

राधिका मर्चेंट, जो जुलाई‑2024 में शादी के बाद अनंत की जिंदगी में नई ऊर्जा लेकर आईं, ने बताया: “विवाह के बाद उसका एक इरादा था कि वह इस पद्यात्रा को पूरा करे। यह उसकी और मेरे लिए एक संयुक्त आध्यात्मिक प्रतिबद्धता है।”

स्थानीय लोगों की भागीदारी और प्रमुख घटनाएँ

जमनगर‑फोर्ट‑कोटली, बुदवाना, उध्यमपुर जैसे गाँवों में स्थानीय लोग अनंत के साथ चलना, तिलक लगाना, और गाने गुनगुनाते हुए उनका स्वागत करना एक आम दृश्य था। एक गाँव में उन्होंने एक छोटी ध्वनि‑व्यक्ति (डिजिटल बैनर) लगाई, जिसमें लिखा था “भक्ती के साथ कदम बढ़ाएँ”।

कुल मिलाकर 25 से से अधिक गाँवों ने इस यात्रा में भाग लिया, प्रत्येक गाँव से 200‑300 लोग शारीरिक सहायता से लेकर खाद्य सामग्री तक विविध रूप में योगदान दिया। यहाँ तक कि वीरेन मर्चेंट, एनकोर हेल्थकेयर के चेयरमैन, ने अपनी कंपनी के कर्मचारियों को पानी की बोतलें और प्राथमिक चिकित्सा किट प्रदान कीं।

परिवार और प्रमुख हस्तियों की प्रतिक्रिया

परिवार और प्रमुख हस्तियों की प्रतिक्रिया

जैसे ही अनंत द्वारकाधीश मंदिर में पहुँचा, वह अपने मातापिता, पत्नी और स्थानीय पुजारी से सुस्पष्ट अभिवादन प्राप्त कर रहा था। मंदिर के पुजारी ने उन्हें लाल दुपट्टा और सुनहरी पवित्र पात्र प्रदान किया, जिसे वह सिर के ऊपर धारण करने लगे। इस क्षण पर उन्होंने कहा: “मैं अपने जन्मदिन को यहाँ मनाने के लिए बहुत भाग्यशाली महसूस करता हूँ। यह मेरी आध्यात्मिक यात्रा का अंतिम चरण है।”

नीता अंबानी ने भावनात्मक भाषण में कहा: “सुपुर्दा शक्ति हमें हमेशां मार्गदर्शन देती है। इस पद्यात्रा से अनंत ने न केवल शारीरिक बल्कि आत्मिक रूप से भी बड़ा मजबूत पाया है।”

मुकेश अंबानी ने निजी तौर पर नहीं, बल्कि रिलायंस की आध्यात्मिक पहल के रूप में इस यात्रा को सराहा: “समर्पण और धैर्य वह मूलभूत मूल्य हैं, जो हमारे व्यवसाय में भी हमारी राह दिखाते हैं।”

व्यापार एवं सामाजिक प्रभाव

रिलायंस का मुख्यालय मुंबई में स्थित है, परंतु गुजरात में कंपनी के कई बड़े कारखाने, विशेषकर जमनगर रिफाइनरी, आर्थिक रूप से राज्य की ग्रोथ में योगदान देते हैं। अनंत की इस यात्रा ने कंपनी के CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) पहल को नई दिशा दी, क्योंकि कई स्थानीय NGOs ने इस अवसर का उपयोग ग्रामीण स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों के लिए किया।

पद्यात्रा के बाद कंपनी ने घोषणा की कि वह अगले वर्ष 10 करोड़ रुपये की राशि से गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ सुधारने के लिए एक नया फंड स्थापित करेगा। यह कदम अनंत के व्यक्तिगत अनुभव (स्वास्थ्य में सुधार) से प्रेरित माना गया।

सामाजिक रूप से, इस यात्रा ने भारतीय जनता को यह याद दिलाया कि बड़े उद्योगपतियों के परिवार भी आध्यात्मिक मार्गों पर चल सकते हैं, जिससे उनके साथ अधिक मानवीय संबंध स्थापित होते हैं।

आगे की योजना और संभावित परिणाम

आगे की योजना और संभावित परिणाम

अनंत अंबानी ने स्पष्ट किया कि यह पद्यात्रा सिर्फ एक शुरुआत है। वह आने वाले महीनों में कंपनी के डिजिटल और पर्यावरणीय प्रोजेक्ट्स में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहते हैं, और अपने अनुभवों को युवा पीढ़ी के साथ साझा करना चाहते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अब अनंत को कंपनी के कई रणनीतिक पहल में अधिक दृश्यता मिलेगी, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता का परीक्षण होगा। दो साल में वह रिलायंस के प्रबंधन मंडल में सीट पाने की संभावना को लेकर कई बैंकर उत्सुक हैं।

द्वारकाधीश मंदिर में समाप्त इस यात्रा ने अनंत को सामाजिक और व्यावसायिक दोनों स्तरों पर एक नई पहचान दिलाई है, जिससे भविष्य में वह भारत के विभिन्न सामाजिक‑आर्थिक पहलों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पद्यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था?

अनंत अंबानी ने इसे अपनी आध्यात्मिक खोज, स्वास्थ्य सुधार और 30वें जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए चुना। यात्रा के दौरान उन्होंने स्थानीय परम्पराओं में डुबकी लगाई और कई गाँवों में सामाजिक संदेश भी पहुँचाया।

क्या इस पद्यात्रा से रिलायंस पर कोई व्यावसायिक प्रभाव पड़ा?

हां, पद्यात्रा के बाद कंपनी ने ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड घोषित किया, जिससे CSR में नई पहल शुरू हुई। साथ ही यह सार्वजनिक छवि को भी सकारात्मक बनाता है।

अनंत की इस यात्रा में कौन‑कौन शामिल थे?

मुख्य रूप से अनंत अंबानी, उनकी पत्नी राधिका मर्चेंट, और माताओ नीता अंबानी ने अंत में यात्रा पूरी की। मार्ग में स्थानीय ग्रामीणों, पुजारियों और वीरेन मर्चेंट के सहयोगियों ने भी सहयोग दिया।

भविष्य में अनंत अंबानी कौन‑सी भूमिकाएँ संभाल सकते हैं?

विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि अगले दो वर्षों में वह रिलायंस के बोर्ड में शामिल हो सकते हैं, विशेषकर डिजिटल एवं जलवायु प्रोजेक्ट्स की निगरानी में। उनका सार्वजनिक पद भी कंपनी के सामाजिक दायित्व को सुदृढ़ करेगा।

द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा क्यों चुनी गई?

द्वारकाधीश मंदिर (जगत मंदिर) चार धाम में से एक है, जहाँ भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थित है। अनंत ने इसे भक्तिकेंद्रित स्थान के रूप में अपनी आध्यात्मिक यात्रा का समापन मानकर चुना।

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