लेंसकार्ट का आईपीओ 28 गुना सब्सक्राइब, ग्रे मार्केट प्रीमियम गिरा तो क्या लिस्टिंग पर मुनाफा निश्चित?

लेंसकार्ट का आईपीओ 28 गुना सब्सक्राइब, ग्रे मार्केट प्रीमियम गिरा तो क्या लिस्टिंग पर मुनाफा निश्चित?

लेंसकार्ट सॉल्यूशंस ने 4 नवंबर, 2025 को अपना ₹7,278 करोड़ का आईपीओ समाप्त कर दिया — और ये आईपीओ इतना जोरदार रहा कि इसकी सब्सक्रिप्शन 28 गुना हो गई। ये नंबर सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारतीय उपभोक्ता के लिए चश्मा अब सिर्फ दृष्टि का साधन नहीं, बल्कि स्टार्टअप इकोसिस्टम का एक बड़ा प्रतीक बन गया है। लेकिन जैसे ही लिस्टिंग की तारीख (10 नवंबर) करीब आ रही है, ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) गिरकर ₹59 प्रति शेयर पर पहुँच गया — जो शुरुआती ₹85 के मुकाबले काफी कम है। क्या ये लिस्टिंग पर मुनाफे की उम्मीदों पर धुंध छा रही है? या फिर बाजार सिर्फ थोड़ा शांत हो रहा है?

आईपीओ का आंकड़ा: 28 गुना सब्सक्रिप्शन, लेकिन क्या सब खुश?

लेंसकार्ट का आईपीओ ₹382 से ₹402 प्रति शेयर की कीमत सीमा के साथ चला, और हर लॉट 37 शेयरों का था — यानी एक लॉट का निवेश ₹14,874 था। इसमें रिटेल निवेशकों ने अपने हिस्से के 3.33 गुना, गैर-संस्थागत निवेशकों ने 1.89 गुना, और योग्य संस्थागत खरीददारों (QIBs) ने 1.64 गुना सब्सक्राइब किया। ये आंकड़े लेंसकार्ट सॉल्यूशंस की जनता में लोकप्रियता को दर्शाते हैं। लेकिन यहाँ एक बात ध्यान देने लायक है: जब आईपीओ शुरू हुआ, तो पहले दिन ही इसकी सब्सक्रिप्शन 1.12 गुना हो गई थी। दूसरे दिन ये 2.02 गुना हो गई। लेकिन अंत तक ये 28 गुना पहुँच गया — जो बाजार के अंतिम दिनों में भारी निवेश के कारण हुआ। ये दिखाता है कि बड़े निवेशक अंत तक बैठे रहे, और फिर बारिश की तरह जमकर खरीदे।

ग्रे मार्केट प्रीमियम: शुरुआत में चमक, अंत में धुंध

शुरुआत में, इकोनॉमिक टाइम्स ने 3 नवंबर को रिपोर्ट किया कि लेंसकार्ट का GMP ₹85 है — यानी ऊपरी कीमत (₹402) से 21.14% अधिक। ये देखकर कई निवेशक तुरंत बेचने की तैयारी में थे। लेकिन अंतिम दिन, टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट किया कि GMP ₹59 पर आ गया है — यानी केवल 14.7% का प्रीमियम। ये गिरावट क्यों आई? शायद कुछ निवेशकों ने अपने लाभ बंद कर लिए। शायद बाजार ने समझ लिया कि लेंसकार्ट की कीमत अभी भी अपने फंडामेंटल्स के अनुरूप नहीं है। या फिर, बस बाजार ने अपनी उत्साह की भावना थोड़ी शांत कर ली।

लेंसकार्ट क्या है? एक टेक-ड्रिवन चश्मा कंपनी

लेंसकार्ट सॉल्यूशंस सिर्फ एक चश्मा बेचने वाली दुकान नहीं है। ये एक टेक-ड्रिवन फैशन-हेल्थकेयर कंपनी है। इसके पास भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 2,723 स्टोर हैं। ये अपने चश्मे खुद डिज़ाइन करता है, खुद बनाता है, और अपने ग्राहकों तक सीधे पहुँचाता है। इसके केंद्रीय उत्पादन सुविधाएँ गुणवत्ता और तेज़ डिलीवरी की गारंटी देती हैं। FY25 में इसकी आय ₹6,652 करोड़ थी — जो पिछले साल के मुकाबले 22.6% बढ़ी है। ये भारत में रेसिपी चश्मों के मामले में सबसे बड़ा विक्रेता है। इसका मॉडल सिर्फ फिजिकल स्टोर्स पर नहीं, बल्कि ऑनलाइन अपलोड की गई प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर चश्मा बनाने पर भी टिका है।

ब्रोकर्स की राय: 'लॉन्ग टर्म' के लिए खरीदें

SBI सिक्योरिटीज ने लेंसकार्ट के लिए 'Subscribe for Long Term' की सिफारिश दी है। और कई अन्य ब्रोकरेज हाउस भी इसके भविष्य के प्रति आशावादी हैं। लेकिन ये आशा किस पर टिकी है? लेंसकार्ट का बिजनेस मॉडल बहुत अच्छा है — लेकिन क्या ये आईपीओ प्राइसिंग इसके वास्तविक मूल्य को दर्शा रही है? एक विश्लेषक ने कहा, "ये एक ऐसी कंपनी है जो देश में लाखों लोगों के लिए चश्मा सस्ता बना रही है। लेकिन अगर आज लिस्टिंग पर ये ₹480 पर खुलती है, तो उसकी P/E रेशो 80+ हो जाएगी — जो टेक कंपनियों के लिए भी बहुत ज्यादा है।" ये बात अक्सर भूल जाते हैं: लेंसकार्ट एक टेक कंपनी नहीं, एक रिटेल कंपनी है — जिसकी ग्रोथ धीमी, लेकिन स्थिर है।

लिस्टिंग के बाद क्या होगा?

आईपीओ के बाद की तारीखें इस प्रकार हैं: शेयर आवंटन 6 नवंबर, शेयर्स क्रेडिट और रिफंड 7 नवंबर, और लिस्टिंग 10 नवंबर, 2025 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर। एंकर इन्वेस्टर्स के लिए लॉक-इन अवधि अलग-अलग है: 50% शेयर्स 6 दिसंबर, 2025 तक, और बाकी 4 फरवरी, 2026 तक बंद रहेंगे। ये लॉक-इन एक अच्छा संकेत है — ये दर्शाता है कि बड़े निवेशक लंबे समय तक इस कंपनी में विश्वास रखते हैं। लेकिन अगर लिस्टिंग पर शेयर ₹460 से नीचे चले, तो छोटे निवेशकों के लिए ये एक संकेत हो सकता है कि बाजार अभी भी अतिरंजित है।

क्या लेंसकार्ट एक अच्छा निवेश है?

ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब कोई नहीं दे सकता। लेकिन ये तथ्य सामने हैं: लेंसकार्ट भारत में एक अनोखा ब्रांड है — जो टेक्नोलॉजी और रिटेल को जोड़ रहा है। इसकी आय लगातार बढ़ रही है। इसकी लागत संरचना बहुत कुशल है। लेकिन ये कंपनी अभी भी लाभ कमा रही है — और इसकी लाभक्षमता अभी भी अनिश्चित है। अगर आप एक लंबे समय के निवेशक हैं, तो ये एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। लेकिन अगर आप तुरंत मुनाफा चाहते हैं, तो ग्रे मार्केट के गिरने का ये संकेत है कि शायद आपको थोड़ा रुकना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

लेंसकार्ट का आईपीओ 28 गुना क्यों सब्सक्राइब हुआ?

लेंसकार्ट का आईपीओ इतना सफल इसलिए हुआ क्योंकि ये भारत की सबसे बड़ी रेसिपी चश्मा कंपनी है, जिसकी आय FY25 में ₹6,652 करोड़ थी और 22.6% की वार्षिक वृद्धि हुई। इसका टेक-ड्रिवन, डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर मॉडल और 2,723 स्टोर्स का नेटवर्क निवेशकों को आत्मविश्वास दिया। अंतिम दिनों में QIBs और बड़े निवेशकों ने भारी खरीद की, जिससे सब्सक्रिप्शन 28 गुना हो गया।

ग्रे मार्केट प्रीमियम गिरने का क्या मतलब है?

GMP का गिरना यह दर्शाता है कि बाजार में अल्पकालिक उत्साह कम हो रहा है। शुरुआत में ₹85 का GMP था, लेकिन अंत में यह ₹59 पर आ गया। इसका मतलब है कि निवेशकों को लग रहा है कि लिस्टिंग पर ₹480 से अधिक की उम्मीद अतिरंजित है। ये संकेत है कि बाजार अब फंडामेंटल्स पर ध्यान दे रहा है, न कि केवल उत्साह पर।

लेंसकार्ट का भविष्य कैसा होगा?

लेंसकार्ट के पास भारत में चश्मा बाजार का 15% हिस्सा है, और ये बढ़ता जा रहा है। अगर ये अपने लाभक्षमता को बनाए रखता है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैलता है, तो ये एक लंबे समय का निवेश हो सकता है। लेकिन अगर लागत बढ़ती है या प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, तो लाभ दब सकता है।

क्या निवेशकों को लिस्टिंग के बाद तुरंत बेचना चाहिए?

नहीं, अगर आप लंबे समय के निवेशक हैं। लेंसकार्ट एक रिटेल कंपनी है, न कि एक टेक स्टार्टअप। इसकी ग्रोथ धीमी लेकिन स्थिर है। अगर लिस्टिंग पर शेयर ₹450-470 के बीच चलता है, तो ये एक अच्छा एंट्री पॉइंट हो सकता है। तुरंत बेचने की जगह, इसे एक वर्ष तक देखें।

लेंसकार्ट के लिए एंकर इन्वेस्टर्स का लॉक-इन क्यों महत्वपूर्ण है?

एंकर इन्वेस्टर्स के लॉक-इन का मतलब है कि बड़े निवेशक अपने शेयर्स तुरंत नहीं बेच सकते। ये बाजार को यह संकेत देता है कि वे कंपनी में विश्वास रखते हैं। अगर वे तुरंत बेचते, तो शेयर मूल्य गिर सकता था। ये लॉक-इन लिस्टिंग के बाद शेयर के स्थिरता के लिए एक सुरक्षा बाधा है।

क्या लेंसकार्ट भारतीय शेयर बाजार में एक नया ट्रेंड शुरू कर रहा है?

हाँ। लेंसकार्ट दिखा रहा है कि रिटेल और टेक्नोलॉजी का मिश्रण भारत में बहुत बड़ा बाजार बन सकता है। ये एक ऐसा मॉडल है जिसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ फिजिकल नेटवर्क का इस्तेमाल होता है। अगर ये सफल हुआ, तो अन्य फैशन और हेल्थकेयर ब्रांड भी इस मॉडल को अपनाने लगेंगे।