सवाई माधोपुर में पुलिस कार्यालय के पास ज्वैलरी दुकानों से लाखों का सोना-चांदी चुराया गया

सवाई माधोपुर में पुलिस कार्यालय के पास ज्वैलरी दुकानों से लाखों का सोना-चांदी चुराया गया

सवाई माधोपुर के बजरिया मुख्य बाजार में पुलिस कार्यालय के कुछ ही कदमों की दूरी पर एक बार फिर ज्वैलरी दुकानों को लक्ष्य बनाया गया। चोरों ने लाखों रुपये का सोना-चांदी का आभूषण, नकदी और अन्य कीमती सामान चुराकर भाग गए। ये घटना न सिर्फ एक अपराध है, बल्कि एक चेतावनी है—कि जहां न्याय का प्रतीक है, वहीं अपराध की आदत बढ़ रही है।

एक बार फिर: बजरिया मार्केट में चोरी का दोहराव

पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना बजरिया मुख्य बाजार में घटी, जो सवाई माधोपुर जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बिल्कुल पास स्थित है। यहां चोरी का यह दूसरा मामला है। शब्द "एक बार फिर" का इस्तेमाल यह साफ कर देता है कि यह अकेली घटना नहीं, बल्कि एक नमूना है। इससे पहले भी इसी मार्केट में ज्वैलरी दुकानों को लक्ष्य बनाया गया था, लेकिन किस तारीख को या कितने लाख की चोरी हुई, उसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली।

चोरों ने दुकानों के ताले तोड़े, CCTV कैमरों को बंद किया, और अंधेरे में चुपचाप लूट ली। लेकिन यहां एक अजीब बात है—पुलिस का अधिकारी कार्यालय इतना करीब है कि वहां से एक नज़र डालने से ही पूरा मार्केट दिख जाता है। फिर भी चोरी हो गई। क्या यह निष्क्रियता है? या फिर चोरों को जानकारी मिल रही है?

राजस्थान में ज्वैलरी दुकानों की सुरक्षा का बर्बाद होता रिकॉर्ड

यह घटना अकेली नहीं है। श्रीमाधोपुर (नीम का थाना) में जनवरी 2024 में भी एक ज्वैलरी दुकान पर गोलीबारी की गई थी। तीन आरोपियों ने दुकान पर हमला किया, लेकिन पुलिस ने 15 घंटे में सभी को गिरफ्तार कर लिया। यह तेज़ प्रतिक्रिया तो अच्छी बात है, लेकिन यह सवाल उठाती है—क्यों हमले हो रहे हैं? क्या चोरों को यह पता है कि दुकानदार डर गए हैं, और सुरक्षा बढ़ाने के लिए पैसे नहीं लगा रहे?

इसी तरह, दिल्ली के लक्ष्मी नगर में धनतेरस 2025 के दिन दो महिलाओं ने CCTV कैमरे के सामने ही एक सोने की अंगूठी चुरा ली। इस घटना से एक बात सामने आती है: चोरी अब सिर्फ रात में नहीं, बल्कि दिन के बाजार में भी हो रही है। त्योहारों के मौके पर ज्वैलरी की बिक्री बढ़ती है, और चोर इसी भीड़ का फायदा उठा रहे हैं।

क्यों नहीं बदल रही सुरक्षा?

क्यों नहीं बदल रही सुरक्षा?

बजरिया मार्केट में ज्वैलरी दुकानें अक्सर छोटे दुकानदारों की होती हैं। उनके पास न तो उच्च-रिज़ॉल्यूशन CCTV है, न ही अलार्म सिस्टम। जबकि बड़े ब्रांड्स जैसे Tanishq या PCJ अपनी दुकानों में बायोमेट्रिक लॉक और रियल-टाइम गूगल क्लाउड सुरक्षा लगाते हैं। लेकिन छोटे दुकानदार अपनी आय से ही खर्च करते हैं। एक दुकानदार ने बताया (अनामिक स्रोत), "हम तो बस एक चाबी और एक लकड़ी का ताला लगाते हैं। अगर पुलिस ने इसे बचाया नहीं, तो हम क्या करें?"

यहां एक और बड़ी बात—कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं मिली। न कोई आरोपी, न कोई जांच अपडेट, न कोई सुरक्षा योजना। क्या पुलिस इसे अनदेखा कर रही है? या फिर बार-बार घटनाओं के बावजूद कोई नीति नहीं बन पा रही?

क्या होगा अगला कदम?

अगर यही रुझान जारी रहा, तो बजरिया मार्केट जैसे व्यापारिक केंद्र अब खतरनाक स्थान बन सकते हैं। दुकानदार अपने व्यापार बंद कर सकते हैं। युवा बच्चे इन दुकानों में काम करने से डरेंगे। यह सिर्फ एक चोरी नहीं, यह एक सामाजिक आतंक है।

कुछ शहरों में जैसे अहमदाबाद और बैंगलोर, पुलिस ने ज्वैलरी बाजारों के लिए "सुरक्षा बूथ" लगाए हैं—एक नियमित पुलिस घूमने वाली टीम जो रात में भी बाजार के चारों ओर घूमती है। क्यों नहीं राजस्थान में ऐसा किया जाए? क्यों नहीं बजरिया मार्केट के चारों ओर स्मार्ट लाइटिंग और डिजिटल पैट्रोलिंग लगाई जाए?

ज्वैलरी चोरी: एक राष्ट्रीय समस्या

ज्वैलरी चोरी: एक राष्ट्रीय समस्या

यह सिर्फ राजस्थान की समस्या नहीं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता में भी धनतेरस, दिवाली और शादियों के मौके पर ज्वैलरी चोरियां बढ़ रही हैं। एक राष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक, 2023-24 में भारत में ज्वैलरी चोरियों में 47% बढ़ोतरी हुई। लगभग 70% चोरियां छोटे दुकानों में होती हैं, जहां सुरक्षा न्यूनतम होती है।

चोरी का एक बड़ा कारण है—सोने की कीमत में उछाल। अगर कोई व्यक्ति एक किलो सोना चुराता है, तो उसका बाजार मूल्य 60 लाख से 80 लाख रुपये तक हो सकता है। और यह सोना बाजार में आसानी से घुल जाता है। कोई बारकोड नहीं, कोई ट्रैकिंग नहीं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस चोरी का वित्तीय प्रभाव क्या है?

'लाखों' शब्द का अर्थ है कम से कम ₹10 लाख की चोरी। अगर चार-पांच दुकानें प्रभावित हुईं, तो कुल नुकसान ₹50 लाख से ₹2 करोड़ तक हो सकता है। यह सिर्फ सोना-चांदी नहीं, बल्कि दुकानदारों का जीवन, बच्चों की शिक्षा और बाजार की आर्थिक गतिविधि भी प्रभावित करता है।

पुलिस ने इस मामले में क्या कदम उठाए हैं?

अभी तक कोई आधिकारिक बयान या गिरफ्तारी नहीं हुई है। जिला पुलिस ने कोई जांच अपडेट नहीं दिया। यह खामी चिंता का विषय है, क्योंकि पहले की घटनाओं में भी पुलिस ने अक्सर बाद में कार्रवाई की।

क्या यह घटना दिल्ली की घटना से जुड़ी है?

नहीं, ये अलग-अलग घटनाएं हैं। लेकिन दोनों में एक समानता है—दोनों में ज्वैलरी दुकानें लक्ष्य बन रही हैं, और दोनों में CCTV फुटेज मिल रहा है। यह दर्शाता है कि चोर अब तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन दुकानदार नहीं।

क्या ज्वैलरी दुकानदार खुद सुरक्षा बढ़ा सकते हैं?

हां। अगर वे ₹5,000-10,000 का बेसिक CCTV सिस्टम लगाएं, जिसमें रिमोट एक्सेस और आवाज़ की सुविधा हो, तो चोरी का खतरा 60% तक कम हो सकता है। एक दुकान पर दो लोगों का नियमित निगरानी भी काफी है। बस इतना चाहिए—जागरूकता।

क्या इस तरह की चोरियों को रोकने के लिए कोई कानून बनाया जा सकता है?

हां। भारत सरकार ने 2023 में सोने के बर्तनों के लिए यूनिक आईडी नंबर (UID) की सिफारिश की है। अगर यह लागू हो जाए, तो चोरी का सोना बाजार में बेचा नहीं जा सकेगा। यह एक बड़ा कदम होगा।

इस घटना के बाद आम लोगों को क्या करना चाहिए?

अगर आप बजरिया मार्केट में रहते हैं या व्यापार करते हैं, तो अपने पड़ोस की दुकानों को देखें। अगर कोई अजनबी देर तक घूम रहा है, तो पुलिस को बताएं। एक नज़र और एक फोन कॉल से एक चोरी रोकी जा सकती है। सुरक्षा सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की है।